विगत डेढ़ वर्षों से लॉकडाउन के कारण असंगठित क्षेत्र के कामगारों की माली हालत पूरी तरह से चरमरा गई है. इसी क्रम में न्यायालय कार्यों से जुड़े अधिवक्ता, ताईद और मुनीमों की भी दशा पतली होने के कारण अत्यंत दयनीय दशा में पहुंच गई है.
अगर देखा जाए तो अभी भी न्यायालयों में फिजिकल सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है जिसके कारण इनकी हालत लगभग हैंड टू माउथ भी नहीं बची है.
इसको देखते हुए इंडियन एसोसिएशन आफ लॉयर्स, बिहार के अध्यक्ष एवं पटना हाई कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा है कि
“न्यायालय कार्यों से जुड़े कर्मियों को ढाई सौ करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए ताकि उनकी जिंदगी गुजर बसर करने वाली पटरी पर आ सके.”
इसके लिए इन्होंने 4 सूत्री मांगों जैसे सरकार द्वारा कॉपरेटिव पैकेज के माध्यम से अधिवक्ताओं और अन्य लोगों को दैनंदिन की सामग्री उपलब्ध कराएं,
काउंसिल पदाधिकारियों के रिक्त पदों पर अभिलंब भर्ती करे, सरकार ढाई सौ करोड़ का मुआवजा दे आदि इसको मनवाने के लिए काला और सफेद बिल्ला लगाकर न्यायालय में कार्य करने की मुहिम छेड़ी है.