भारत तभी समृद्ध होगा जब सभी लिंग के लोगों को समान अवसर मिलेंगे: कल्कि सुब्रमण्यम

तमिलनाडु के पोलाची में रहने वाली कल्कि सुब्रमण्यम एक प्रसिद्ध ट्रांसजेंडर, कलाकार, एक्टिविस्ट, अभिनेत्री तथा लेखिका हैं. इन्होंने सहोदरी फाउंडेशन की स्थापना किया है जो ट्रांसजेंडर के अधिकारों एवं उनके समानता को बढ़ावा देती है.

अभी हाल ही में इन्होंने वी आर नॉट अदर्श पुस्तक का विमोचन किया है जिसे पाठकों के द्वारा काफी अधिक सराहा जा रहा है. दरअसल कल्कि एक ऐसी किन्नर हैं जो लोगों के लिए कानूनी अधिकारों की मान्यता की वकालत करते हैं जिसे उन्होंने भारत के सुप्रीम कोर्ट के जरिए भी को उठाया था.

आज देश की स्वतंत्रता के 75वीं वर्षगांठ पर उन्होंने बताया कि भारत बदल रहा है-” किंतु यह दुनिया के अन्य देशों की तरह नहीं है बल्कि यहां विविधताएं हैं जिसे हम भोजन से लेकर

वस्त्र और भाषा तक सभी में आसानी से देख सकते हैं. फिर भी एक राष्ट्र के रूप में हम मजबूत हैं और यह हमारे लिए भारतीय होने के अतिरिक्त गर्व और वरदान की बात है.”

जब उनसे पूछा गया कि भारत की आजादी को 75 वर्ष हो चुके हैं तो आप देश में सकारात्मक परिवर्तन के रूप में क्या देखती है.? इसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि-

लैंगिक पक्षपात, असमानता के कारण महिलाओं और किन्नर लोगों की मानव शक्ति क्षमता का दोहन रोका जाना चाहिए जब तक यह नहीं बदलेगा, सभी लिंग के लोगों को समान अवसर नहीं मिलेंगे तब तक एक समृद्ध भारत नहीं बनाया जा सकता है.

अगले प्रश्न के रूप में इनसे महिलाओं और किन्नरों की स्थिति को मजबूत करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं, पूछा गया तो उन्होंने बताया कि-

एक भारतीय और देश के नागरिक, कार्यकर्ता के रूप में रोल मॉडल बनाते हुए विभिन्न रचनात्मक परियोजनाओं के माध्यम से मैं ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाती हूं.

इसके अतिरिक्त मैं शिक्षाविदों, मीडिया, न्यायपालिका, निर्माताओं के साथ काम कर रही हूं ताकि एक सक्षम वातावरण पर नीतियां बनाई जा सके जो ट्रांसजेंडरों के लिए लैंगिक न्याय को बनाए रखें.

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