उत्तर प्रदेश: जालौन जिले के 100 गावों में दलित और वंचित समुदाय की महिलाएं करेंगी झंडारोहण

जालौन: स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ पर बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच तथा उसके साथी संगठनों की टीम ने इसे यादगार बनाने के लिए विशेष तैयारी किया है.

जैसा कि हम जानते हैं स्वतंत्रता दिवस गुलामी से मुक्ति का प्रतीक है जिसके अंतर्गत भारतवासियों ने ब्रिटिश शासन के विचार और दमन से मुक्ति पाने के साथ भारत में सदियों से चली आ रही जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था के चंगुल से भी खुद को मुक्त किया.

किंतु इस प्रयास में पुरुषों की तुलना में महिलाओं खासकर दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग को जिस आजादी की दरकार थी वह नहीं मिल सका है.

आज भी यह तबका जाति, लिंग और गरीबी के आधार पर भयंकर यातना सहने के बावजूद अभी भी अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है.

इस बार उत्तर प्रदेश में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दलित तबके की महिलाओं ने जो जनप्रतिनिधित्व प्राप्त किया है वह अपने आप में एक सकारात्मक परिणाम माना जा सकता है.

आज महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए 15 अगस्त दिवस के दिन जालौन जिले के 100 गावों में दलित और वंचित समुदाय की महिलाएं झंडा फहराएंगी जो अपने आप में ऐतिहासिक होगा.

इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस पर कुछ खास होने वाला है जैसे महिलाओं के द्वारा झंडारोहण, राष्ट्रगान तथा संविधान की प्रस्तावना पढ़कर स्वतंत्र दिवस मनाया जाएगा.

साथ ही 75 वीं वर्षगांठ की शुरुआत से ही पूरे वर्ष प्रत्येक सप्ताह गांव-गांव में बच्चों के कार्यक्रम होंगे तथा भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जाएगी,

गांव में समता, समानता, बंधुता, न्याय की अवधारणा लोगों को समझाया जाएगा. इस शुभ कार्य के लिए जालौन जिले के महेवा, कदौरा, कुठोंद तथा जालौन के 100 गांव के प्रमुख नेताओं को

जिम्मेदारी दी गई जो 10-10 गांव को कोऑर्डिनेट करेंगे. बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के संयोजक ने बताया कि आजादी के 74 वर्ष बीतने के बावजूद देश और समाज में जो असमानताएं हैं,

उनको खत्म करना होगा तथा देश के संविधान द्वारा दिए गए समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय की अवधारणा को गांव गांव में पहुंचाना होगा.

आजादी की वर्षगांठ की शुरुआत से ही महिलाओें के सम्मान तथा स्वाभिमान को लोगों के बीच ले जाकर जागरूक करने का कार्य किया जाएगा.

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