- जंगल कौड़िया के ग्राम केवटलिया के कोटेदार दुर्बल साहनी का कारनामा
मामला गोरखपुर जनपद के विकासखंड जंगल कौड़िया के ग्राम केवटलिया का है जहां कोटेदार की दबंगई से लोग परेशान हैं. बताते चलें कि यहां का कोटेदार दुर्बल साहनी डाकुओं की नीति
अपनाते हुए लोगों के अधिकारों का हनन कर रहा है, ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जहां निरंतर भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने की बात की जा रही है वही गोरखपुर के अंदर ही इस तरह के कोटेदार का पनपना कहीं ना कहीं अधिकारियों की ढील का नतीजा है.
केवटलिया गांव का कोटेदार दुर्बल साहनी तब लोगों की नजर में आया जब इसने गांव के पात्र व्यक्तियों का नाम अंत्योदय योजना से बाहर कर खुद के परिवार के लोगों का नाम अंत्योदय योजना में शामिल करना शुरू कर दिया.
केवटलिया गांव के निवासी शैलेश मद्देशिया पुत्र स्व पड़ोही ने बताया कि उनके पिता अंत्योदय कॉर्ड धारक थे जिनकी मृत्यु के बाद शैलेश ने कार्ड को खुद के नाम हस्तांतरित करने हेतु कोटेदार से आग्रह किया था
परंतु दबंग कोटेदार दुर्बल साहनी द्वारा शैलेश के अधिकारों का हनन करते हुए खुद के पुत्र धर्मेंद्र शाहनी की पत्नी पूनम के नाम से अंत्योदय कार्ड जारी करवा लिया गया.
वहीं दूसरा मामला गांव के ही रामस्वरूप पुत्र रामबृक्ष का है, रामस्वरूप ने बताया कि उनकी माता शती देवी पत्नी रामबृक्ष अंत्योदय कॉर्ड धारक थी जिनकी मृत्यु के बाद कानूनी रूप से रामबृक्ष उसके अधिकारी थे
जिसके लिए उन्होंने कोटेदार से गुहार लगाई परंतु कोटेदार द्वारा उनकी एक न सुनी गई तथा गांव के ही किसी करीबी अपात्र व्यक्ति को कार्ड धारक बना कर रामस्वरूप के अधिकारों का हनन किया गया.
तीसरा मामला और गंभीर है जो गांव के ही फूलमति देवी पत्नी दुलारे का है. फूलमति के पति की मृत्यु के बाद फूलमति वर्तमान में अंत्योदय कार्ड धारक है तथा नियमतः फूलमति को
महीने में एक बार 35 किलो तथा एक बार 10 किलो मुफ्त राशन मिलना चाहिए जबकि फूलमति ने बताया कि कोटेदार द्वारा उन्हें केवल 10 किलो राशन ही दिया जाता है.
हर बार ये कहा जाता है की अंगूठा नही मैच कर रहा है जबकि अंगूठा लगाने उन्हें हर बार बुलाया जाता है. अगर अँगूठा मैच नही करता है तो 10 किलो राशन आखिर किसके हक का फूलमति को दिया जाता है?
कारनामा बेहद लंबा है कोटेदार पर ग्रामसभा के लगभग पात्र लोगो द्वारा ये आरोप लगाया गया कि कोटेदार द्वारा सभी के यूनिट में कटौती की जाती है साथ ही सवाल जवाब करने पर राशन न देने की धमकी भी दी जाती है.
कल जब मीडिया के कुछ प्रतिनिधियो द्वारा कोटेदार से उसका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो कोटेदार के लड़के ने खुद को कोटे का स्वामी बताया तथा सभी प्रतिनिधियों से अभद्रता भी की जिसके बाद गल्ले की दुकान को बंद कर दिया और मौके से कुछ भी बोलने व कहने से मना कर दिया.