- पंडित विष्णु शंकर त्रिपाठी को पीटने वाला थानेदार अभी कुर्सी पर
- नशे के व्यापार पर अंकुश न लगने से लगातार बढ़ रहा है अपराधों का ग्राफ
गोरखपुर: अभी कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या को 72 घंटे भी नहीं बीते थे कि अपराधियों ने शराब की एक दुकान पर हंगामा करते हुए वहां के कर्मचारियों को इस कदर पीटा कि उनमें से एक कि मौत हो गई.
सीएम सिटी में पुलिस पर आला अधिकारियों का नियंत्रण लगभग खत्म होता नजर आ रहा है. दरअसल पिछले कुछ दिनों से पुलिस, अपराधियों पर अंकुश
लगाने के बजाए मकान खाली कराने, दुकान पर कब्जा दिलाने, नाली और दीवार बनवाने में व्यस्त हो गई है, रही सही कसर नशे के सौदागरों ने पूरी कर दी है।.
पुलिस की व्यस्तता का लाभ उठाकर ये बेखौफ होकर अपना धंधा चला रहे हैं और युवाओं की एक बड़ी तादाद को नशे के अंधे कुएं में धकेल रहे हैं,
जिसका परिणाम बीते कुछ दिनों से सीएम सिटी की सड़कों पर चैन स्नेचिंग, छोटी चोरियों और अन्य अपराधों के रूप में दिखाई दे रहा है.
अभी पिछले दिनों की बात है जब राजघाट थाने के थानेदार विनय कुमार सरोज द्वारा मकान खाली कराने को लेकर विष्णु शंकर त्रिपाठी जो पूजापाठ
कराकर अपनी आजीविका चलाते हैं, पर अपनी ताकत दिखाते हुए मारापीटा और गाली गलौच किया गया.
मकान से जुड़े दूसरे मामले में एक महिला ने भी इन्हीं थानेदार साहब पर आरोप लगाया लेकिन थानेदार का बाल भी बांका नही हुआ.
जबकि राजघाट थाना इस समय नशे के व्यापार का प्रमुख केंद्र बना हुआ है और थानेदार साहब इससे बाख़बर होते हुए भी बेखबर बने हैं.
जबकि एक बेगुनाह को पीटने वाला आज भी थानेदारी कर रहा है क्योंकि मार खाने के बाद पंडित विष्णु शंकर त्रिपाठी ज़िंदा है.
मामले में जांच का आदेश हुआ था लेकिन क्या हुआ किसी को कुछ पता नही? गज़ब की बात ये है कि उच्चाधिकारियों को भी सब खबर है लेकिन न जाने क्यों उनके हाथ बंधे हैं.
कुल मिलाकर अपराधियों पर अंकुश लगाने के बजाए गोरखपुर पुलिस में कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जिनका कानून व्यवस्था से
कोई लेना देना नहीं वह अपने आलाधिकारियों के मंसूबे को भी अपनी महत्वकांक्षा की भेंट चढ़ाने से नही चूक रहे हैं.
(साभार: अवधनामा)