गोरखपुर: विश्व पशु कल्याण दिवस के मौके पर महदीपुर स्थित सानिध्य वेटनरी केयर सेंटर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व पशु चिकित्सा अधिकारी ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि-
“जीव-जंतु कल्याण के लिए पहली जिम्मेदारी पशु चिकित्सक की होती है क्योंकि वह पेशे और नैतिकता के आधार पर पशुओं के सुख-दुख को महसूस करता है.
दूसरी जिम्मेदारी पशु कल्याण के लिए कार्य करने वाले पशु कल्याण अधिकारी की है जो एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया से संबंधित है.”
वर्तमान में गोरखपुर में कुछ लोग अपनी भागीदारी दे रहे हैं परंतु उसको पशु पालन विभाग, पुलिस विभाग, प्रशासनिक विभाग और नगर निगम का
सहयोग लेते हुए संगठित रूप से कार्य करने की आवश्यकता है जो कि भारत सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं से संबंधित है.
वर्तमान में शिवेंद्र यादव का कार्य सराहनीय है जो तन-मन-धन से सड़क पर एवं लावारिस पशुओं के लिए कार्य कर रहे हैं.
इस अवसर पर ए.डब्लू.बी.आई. भारत सरकार के मानद जीव जंतु कल्याण अधिकारी डा. अमरनाथ जायसवाल ने कहा कि-
“विकास की प्रक्रिया ने जीव-जंतुओं के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है, परिणाम स्वरूप इसका असर जलवायु परिवर्तन पर भी दिखाई दे रहा है.”
आश्चर्य का विषय है, हमारे देश की देसी नस्ल की गाय जैसे हरियाणा, साहिवाल, गंगातीरी, थारपारकर, वैचूर आदि का अस्तित्व समाप्ति के कगार पर है.
हमने इसे बचाने का कोई भी प्रयास नहीं किया जबकि इन गायों का दूध मानव स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है.
कटते हुए वन पशु पक्षियों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं उनका भी अस्तित्व समाप्ति की ओर बढ़ रहा है जैसे तोता, मैना, गौरैया, मोर गीद्ध आदि.
अल्पाइन फाउंडेशन की सचिव अमृता राव ने बताया कि-पशुपालन विभाग पहले पशु कल्याण दिवस पर पूरे 15 दिन तक पशु के स्वास्थ्य,
प्रबंधन, रोग निवारण इत्यादि पर ब्लॉक स्तरीय सेमिनार का आयोजन करता था. पशु प्रतियोगिता का आयोजन कर किसानों में
प्रोत्साहन के लिए पुरस्कार बांटता था, जिसमें आयुक्त, जिलाधिकारी, सांसद, विधायक की सहभागिता होती थी
जिससे पशुपालकों में पशुओं के प्रति प्रेम, तथा करुणा की संवेदना जागृत होती थी परंतु आज जबकि भारत सरकार और प्रदेश सरकार
पशुओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हुए उनके हित में जनहितकारी कार्य कर रही है तो आज विभाग सोया क्यों है.?
संगोष्ठी में पशु प्रेमी शिवेंद्र यादव, डॉक्टर प्रमिला निषाद, दीनानाथ आदि उपस्थित रहे.