- आंदोलन किया है, अब चुनाव को बनाएंगे आन्दोलन
- विपक्षी दल राजीव के समर्थन में निजामाबाद सीट खाली छोड़ें
लखनऊ: आगामी विधानसभा चुनाव 20220में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव की निज़ामाबाद, आजमगढ़ से उम्मीदवारी के समर्थन में सामाजिक,
मानवाधिकारवादी संगठनों, जनांदोलनों समेत राजनीतिक दलों और उनके गठबन्धनों के नेताओं ने यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में प्रेस वार्ता की.
प्रेस वार्ता में 2 अप्रैल, 2018 एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करने के खिलाफ हुए भारत बंद में गिरफ्तार आन्दोलनकारी, एनआरसी-सीएए विरोधी आन्दोलनकारी,
13 पॉइंट रोस्टर के खिलाफ, आरक्षण के लिए लड़ने वाले आन्दोलनकारी और किसान आन्दोलन से जुड़े नेता मौजूद रहे.
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि राजीव के समर्थन में राजधानी में जनता के लिए लड़ने वाले आन्दोलनकारियों का यह जमावड़ा बताता है कि हमने चुनाव को आन्दोलन में बदलने के लिए कमर कस ली है.
उन्होंने बताया कि आज के ही दिन 2007 में मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद की गिरफ्तारी हुई थी जिनकी बाद में पुलिस हिरासत में हत्या की गई.
इसके खिलाफ विधानसभा के सामने 121 दिन चले धरने से लेकर एनआरसी-सीएए विरोधी आन्दोलनों में भले ही हमने जेल में यातनाएं सही पर हम कभी रुके नहीं.
संविधान पर जब भी संकट आया किसान आन्दोलन से लेकर महिलाओं-दलितों-पिछड़ों के आंदोलनों में हम लड़ाई के मोर्चे पर रहे.
हम केवल आवाज़ उठाने तक ही सीमित नहीं रहे, कोरोना महामारी के दौरान पलायन कर रहे पूर्वांचल के मजदूर भाई-बहनों के भोजन,
पानी और दिल्ली में फंसे आजमगढ़ के मजदूरों की घर वापसी की व्यवस्था में भी जुटे. रिहाई मंच ने जिनकी लडाई लड़ी वो लगातार राजीव के चुनाव अभियान में आने के लिए संपर्क कर रहे हैं.
मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित और सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ संदीप पाण्डे ने कहा कि –
बदलाव के लिए ज़रूरी है कि हम आंदोलनकारियों को अपना प्रतिनिधि बनाकर विधानसभा में भेजें ताकि अन्याय के खिलाफ लड़ाई की आवाज सदन में गूंजे.
छात्र राजनीति से लेकर मानवाधिकार आन्दोलनों तक पिछले सत्रह सालों के दौरान राजीव की लड़ाकू छवि को देखते हुए हमें पूरा भरोसा है कि सदन में जाकर वह जनआकांक्षाओं को पूरा करेंगे.
उन्होंने सभी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक दलों से राजीव का समर्थन करने और उनके लिए निजामाबाद सीट खाली रखने की पुरजोर अपील की.
एनआरसी-सीएए विरोधी आन्दोलन में जेल गए एएमयू छात्र नेता अहमद मुज्तबा फ़राज ने कहा कि मुसलमानों की नागरिकता छीनने का प्रयास किया गया,
तब कोई राजनितिक दल नहीं बल्कि आन्दोलनकारी सड़क पर डटे, अपने सीनों पर गोलियां खाकर निरंकुश सत्ता का मुकाबला किया.
सिर्फ उत्तरप्रदेश में हमारे 23 नौजवान साथी शहीद हुए. जामिया से लेकर एएमयू तक पुलिस और सत्ता ने जो बर्बरता दिखाई उसके इन्साफ की लड़ाई अभी अधूरी है.
आज जरुरत है कि जेल से सदन की तरफ हम बढ़ें, ऐसे में जरुरी है कि राजीव यादव जैसे आन्दोलनकारी के साथ हम खड़े हों.
यादव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार यादव ने कहा कि 13 पॉइंट रोस्टर का सवाल हो या फिर जातिगत जनगणना इन सभी सवालों पर रिहाई मंच ने मुखरता से आवाज़ उठाई.
योगी आदित्यनाथ की ठोक दो नीति के खिलाफ राजीव यादव ने आवाज़ उठाकर दलितों, पिछड़ों, मुसलमानों के फ़र्ज़ी एनकाउंटर के सवाल को अंतरराष्ट्रीय फलक पर लाया.
यादव सेना राजीव यादव की निज़ामाबाद से उम्मीदवारी का समर्थन करती है. 2 अप्रैल, 2018 एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करने के खिलाफ हुए
भारत बंद में गिरफ्तार आजमगढ़ से आए बांकेलाल ने कहा कि वंचित समाज पर जब भी हमला हुआ राजीव यादव हमेशा खड़े हुए.
2 अप्रैल के उस आन्दोलन में मुल्क में 13 दलित नौजवानों की शहादत हुई और पिछले दिनों किसान आन्दोलन में 700 से अधिक किसान शहीद हुए.
मुल्क की राजनीति आन्दोलनकारी तय कर रहे हैं, ऐसे में आन्दोलनकारियों को चुनाव लड़कर सदन तक पहुंचना होगा.
आजमगढ़ से आए हीरालाल यादव जिनके भाई ब्रिजेश यादव को पिछले पांच दिनों से अवैध हिरासत में रखा गया हैं, ने कहा कि-
सरकार गरीबों को अपराधी घोषित करके निशाना बना रही है. हम इस डर में जीने को मजबूर हैं. कब पुलिस हमें किसी फर्जी मुकदमे में न फंसा दे.
ऐसे में राजीव यादव जैसे लोग ही हमारे साथ खड़े मिलते हैं. ऐसे में हमें इनके साथ खड़े होकर इंसाफ की लड़ाई लड़नी होगी.
जनांदोलनों के नेताओं ने कहा कि आन्दोलनकारियों को जेल की सलाखों के पीछे ढकेला गया, आन्दोलनकारियों की संपत्ति कुर्क करने का फरमान जारी किया गया,
बाकायदा तस्वीरों के साथ उनको अपराधी घोषित करते हुए होर्डिंग लगाई गई. इन करतूतों का हिसाब आगामी चुनाव में लिया जाएगा.
सूबे की सरकार यूपी कोका, रिकवरी लॉ, यूपीएसएसएफ, धर्मान्तरण के नाम पर कानून बनाकर दमन कर रही है.
रासुका, गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट के नाम पर वंचित समाज को निशाना बनाया जा रहा है. यहां तक कि सोशल मीडिया पर लिखने के नाम पर देशद्रोह का मुकदमा थोपा जा रहा है.
आतंकवाद के नाम पर बेकसूरों की रिहाई से शुरू हुए रिहाई मंच ने मॉब लिंचिंग, सांप्रदायिक-जातीय हिंसा, फर्जी मुठभेड़ों, हिरासत में हत्या के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ी है.
प्रेस वार्ता में लखनऊ घंटाघर आन्दोलन से तस्वीर नकवी, अजरा मोबिन, सादिया काज़िम, तरनुम, रुबीना मुर्तजा, सना, उजरियाओं गोमतीनगर आन्दोलन से नुजहत,
सहर फ़ातिमा, रुबीना अयाज़, नाहिद अकील, अल इमाम फाउंडेशन के इमरान सिद्दीकी, पूर्व सांसद इलियास आजमी,
मुस्लिम फाउंडेशन के शोएब, डॉ डीके यादव, फैजान मुसन्ना, एआर रहमान सैफी, कलीम खान, मौजूद थे.