लड़की के शादी की उम्र 21 वर्ष करने पर सपा नेता अबू आजमी ने कसा तंज

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा शादी के लिए लड़कियों की उम्र बढ़ाए जाने के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने विवादित बयान दिया है.

आजमी ने कहा है कि जिनके खुद के बच्चे नहीं हैं वही इस तरह के कानून बनाते हैं. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सपा नेता ने बताया कि-

चुंकि मां-बाप अपने बच्चों के विषय में अच्छी तरह से जानकारी रखते हैं. कानून बनाने में जो लड़की-लड़के के मां बाप हैं उनकी राय लेनी चाहिए.

विवाह की उम्र क्या हो इसका फैसला घरवालों के ऊपर छोड़ देने की जरूरत है कि वे किस उम्र में अपने लड़की अथवा लड़के का विवाह करेंगे.?

आपको बताते चलें कि 2020 में जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स गठित करने की सिफारिश की गई थी जिसमें मां बनने की उम्र से संबंधित समस्याएं,

मातृ मृत्यु दर को कम करने, पोषण स्तर में सुधार जैसे मुद्दों से जुड़ी बातों की चर्चा की गई थी. टास्क फोर्स ने सुझाव दिया था कि पहले बच्चे को जन्म देते समय महिला की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए.

निश्चित तौर पर 21 वर्ष की उम्र वाले प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ जैसे नियमों में भी बदलाव करेगी.

याद दिला दें कि वर्ष 1978 में लड़के और लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर कानून बनाया गया था जिसमें लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष तय किया गया था.

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