1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए दिल्ली के इंडिया गेट पर बनाया गया स्मारक
अमर जवान ज्योति के रूप में इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 को इसका उद्घाटन करके किया था. यहां मार्बल की सतह पर राइफल बंदूक खड़ी है
और उस पर एक सैनिक का हेलमेट भी टंगा है, चूँकि 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय हुई थी
और बांग्लादेश का गठन हुआ था तब से लेकर अब तक यह ज्योति पिछले 5 दशकों से लगातार जल रही है जो युद्ध में मारे गए सैनिकों के बलिदान की गाथा गा रही थी.
Why can not martyrs have multiple smaraks ?
why can not the jyoti will taken and added to new one while keeping Amar Jawan Jyoti intact ??#अमर_जवान_ज्योति #AmarJawanJyoti pic.twitter.com/YNHZQcVUIY— Kishlay🇮🇳 किसलय કિસલય কিশলয় கிஸ்லய் ਕਿਸਲਯ (@Kishlaysharma) January 21, 2022
यहां प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय उत्सव पर शहीदों को नमन करने के लिए कृतज्ञ देशवासी जमा होते हैं और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
वर्ष 2006 में सरकार ने इसे एलपीजी सिलेंडर से जला कर रखा था किंतु प्राकृतिक गैस की पाइप लाइन जाने के बाद इसे उसके द्वारा प्रज्वलित किया जाता रहा.
फिलहाल अब इस ज्योति को बुझा कर मोदी सरकार ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर जलने वाली ज्योति में मिला दिया है.
इस स्मारक का उद्घाटन 25 फरवरी, 2019 को नरेंद्र मोदी ने किया था जहां ग्रेनाइट के पत्थरों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित है.
यह इंडिया गेट के पास ही 40 एकड़ में बनाया गया है जहां स्वतंत्र भारत के इतिहास में अलग-अलग युद्ध और घटनाओं में शहीद हुए 26,000 सैनिकों के नाम दर्ज हैं.
इस विषय में सरकार का तर्क है कि शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोई अच्छी जगह नहीं थी जिसके कारण अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट पर रखा गया था.
किंतु अब नेशनल वार मेमोरियल के बन जाने के कारण वहां से ले जाने में कोई दिक्कत नहीं है. फिलहाल सरकार के इस कदम की हर तरफ आलोचना हो रही है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा है कि बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी उसे आज बुझा दिया जाएगा.
कुछ लोग देश प्रेम और बलिदान नहीं समझ सकते हैं, कोई बात नहीं हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति को जलाएंगे.
वहीं पूर्व प्रताप सिंह ने ट्विटर के जरिए मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए लिखा है कि ज्योति से ज्योति जलाई जाती है, बुझाने वाला यह पहला मामला आया है.
जबकि एक ट्विट में लिखा है कि सरकार को अमर जवान ज्योति को जलाने के लिए ईंधन नहीं है जबकि नेताओं के पास खुद के लिए 10 गाड़ियों का इंधन है. हाय रे मंगाई.
फिलहाल सरकार इन आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए कहा है कि इंडिया गेट पर केवल कुछ शहीदों के नाम अंकित हैं जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध और एंगलो अफगान युद्ध में अंग्रेजो के लिए लड़ाई लड़ी थी.
ऐसे में यह औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है. हमने अपना इरादा स्पष्ट करते हुए 1971 और उसके पहले तथा बाद के युद्ध सहित
सभी भारतीय सैनिकों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अंकित किया है, यही उन बलिदानी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है.