वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए सरकारी और निजी दोनों ही वर्ग के कर्मचारियों को प्रस्तुत बजट से उम्मीद लगाए बैठे थे
कि सरकार उनके हित में कुछ अच्छे घोषणा करेगी किंतु उन्हें निराशा मिली है इस क्रम में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिला अध्यक्ष दुर्गविजय,
मंत्री डीके सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शरीफ उजमा ने बजट के प्राथमिक अध्ययन के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि-
“कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए जिस पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा, आयकर स्लैब में कोई बदलाव नही हुआ,
कर्मचारियों की मांग थी कि 10 लाख तक आय को करमुक्त किया जाए लेकिन निराशा ही हाथ लगी.”
वहीं निजीकरण, आउटसोर्सिंग की जगह स्थाई रोजगार सृजन करने की आस देख रहे कर्मचारियों को निराशा हुई क्योंकि सरकार सरकारी क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने का फैसला लिया.
ऐसा प्रतीत होता है कि अब सरकार कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है इसलिए बजट में कर्मचारियों हेतु कोई घोषणा नहीं है.
कोविड काल में सरकारी कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर देश के लिए कार्य किया था लेकिन कर्मचारीहित में इनकम टैक्स के स्लैब में कोई छूट ना मिलने से कर्मचारियों की आस टूटी है.