कुछ समय पहले 2019 में मध्यप्रदेश के इंदौर में एक नगर पालिका अधिकारी को बैट से पीटने का वीडियो वायरल हुआ था.
इस वीडियो में ऐसा साफ तौर पर देखा गया था कि आकाश विजयवर्गीय नगर पालिका अधिकारी को बुरी तरह बैट पीटते हुए नजर आ रहा है.
जब इस मामले को तूल दिया गया तो मध्यप्रदेश सरकार और भाजपा नेता के पुत्र आकाश विजयवर्गीय पर सवाल उठने लगे आनन-फानन में मुकदमा दर्ज किया गया.
इंदौर का बल्ला कांड : बल्ले से पिटे अधिकारी बोले मुझे नहीं पता किसने पीटा था
नगर निगम के जिस अधिकारी ने विधायक आकाश विजयवर्गीय के खिलाफ बल्ले से मारपीट की शिकायत की थी, वे कोर्ट में बयान से पलट गए। उन्होंने कोर्ट में कहा कि घटना के वक्त वे मोबाइल पर बात कर रहे थे। pic.twitter.com/UGXRLgzBos— India Awakened (@IndiaAwakened_) February 19, 2022
2019 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तथा इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आकाश विजयवर्गीय पर प्राथमिकी दर्ज कर दी गई तथा इसमें 11 लोगों को आरोपी बनाया गया.
आज जब इन दिन तीन वर्षो बाद मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो पीड़ित अधिकारी ने कोर्ट में आकाश विजयवर्गीय को पहचानने से इंकार कर दिया और कहा कि बैट से पीटने की घटना के समय वह फोन पर बात कर रहे थे.
ऐसे में वह हमलावर को पहचान नहीं पाए यह सत्ता की हनक से उपजा डर है या कुछ और फिलहाल विश्लेषण का विषय है, किंतु इतना तो तय है पीड़ित अधिकारी
किसी न किसी डर से नहीं चाहता है कि भाजपा विधायक कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय पर कोई कानूनी कार्रवाई हो.
अब इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अधिकारी वर्ग का व्यक्ति इस तरह से सत्ता के आगे घुटने टेक दे रहा है तो आम जनमानस की पीड़ा को आसानी से महसूस किया जा सकता है.