आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध के कारण पूरी दुनिया की तरफ इतने ध्यान आकृष्ट किया है समझने का विषय यह है कि
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बावजूद जहां अनेक देश इसकी कड़ी निंदा कर रहे हैं वहीं भारत का रुख तस्थत बना हुआ है.
भारत के इस रवैए को देखकर जानकारों का कहना है कि संभवत भारत-रूस के बीच किए गए रक्षा समझौते के कारण भारत अपनी कोई भी प्रतिक्रिया देने से बच रहा है.
दरअसल जबसे भारत के संबंध चीन के साथ खराब हुए हैं तब से भारत में रूसी हथियारों की जरूरत पड़ी है.
वहीं दूसरी ओर कश्मीर विवाद पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का समर्थन रूसी राष्ट्रपति ने किया था.
इसके अतिरिक्त शीत युद्ध के बाद से भारत के पास आधे से अधिक लड़ाकू विमान और सभी टैंक रूस ने ही दिया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में जब यूक्रेन हमले को लेकर वोटिंग चल रही थी तो वहां भी भारत गैरहाजिर मिला.
इस वोटिंग में भारत के अतिरिक्त चीन और यूएई ने भी हिस्सा नहीं लिया था. भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन सिंगला ने बताया कि हम संयुक्त राष्ट्र में सावधानीपूर्वक ऐसा रुख अपनाते हैं जो विचारों पर आधारित होता है.
हम निंदा प्रस्ताव पर पूरी तरह से विचार करेंगे और सर्वोत्तम हित में निर्णय लेने के इच्छुक है.
यहां याद दिला दें कि यूक्रेन के अलग-अलग जगहों पर फंसे भारतीय कामगार तथा छात्रों को सुरक्षित भारत बुलाने के लिए
एयर इंडिया फ्लाइट्स की व्यवस्था की गई है तथा भारत ने इसे ऑपरेशन गंगा नाम देकर अपने लोगों को भारत सुरक्षित पहुंचा रहा है.