दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइनस्टाइन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म गाँव में हुआ था.
उन्होंने विश्व के वास्तव को अपने प्रसिद्ध E=mc2 इस इक्वेशन से दर्शाया था. उनके पहले सभी लोग यही मानते थे कि यह विश्व अनाकलनिय है और किसी इश्वर ने इस विश्व को पैदा कर दिया है.
लेकिन, महान शास्त्रज्ञ अल्बर्ट आइनस्टाइन ने Theory of Relativity तथा E=mc2 इन वैज्ञानिक सिद्धांतों से यह स्पष्ट कर दिया कि यह विश्व किसी अज्ञात शक्ति ने पैदा नहीं किया है.
बल्कि यह विश्व थेअरी ओफ रिलेटिविटी इस सिद्धांत से चलता है और उसका सूत्र है E=mc2. थेअरी ओफ रिलेटिविटी को तथागत बुद्ध ने पालि भाषा में
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14 मार्च
नोबेल पारितोषिक विजेते जर्मन आणि अमेरिकन भौतिकशास्त्रज्ञ अल्बर्ट आईनस्टाईन यांचा जन्मदिन. pic.twitter.com/X1C3wv7OWl— AIR News Pune (@airnews_pune) March 14, 2022
“प्रतित्यसमुत्पाद सिद्धांत” के रूप में लगभग ढाई हजार साल पहले ही बता दिया था. खुद अल्बर्ट आइनस्टाइन ने
अपने थेअरी ओफ रिलेटिविटी सिद्धांत के बारे में अपने निजी पत्रों में लिखकर रखा है कि उन्हें यह सिद्धांत खोजने के लिए तथागत बुद्ध के प्रतित्यसमुत्पाद सिद्धांत से प्रेरणा मिली थी.
इतना ही नहीं बल्कि आइनस्टाइन ने खुलेआम घोषित कर दिया था कि यदि जन्म से बौद्ध नहीं है लेकिन वे अपने विचारों से बौद्ध ही है और उन्होंने
यह भी घोषित किया था कि बौद्ध धर्म पुर्णतः वैज्ञानिक धर्म होने के कारण भविष्य की दुनिया का धर्म केवल बौद्ध धर्म ही होगा.
बौद्ध धर्म के बारे में इतने स्पष्ट, सटिक और खुलकर विचार रखनेवाले महान शास्त्रज्ञ अल्बर्ट आइनस्टाइन वास्तव में एक क्रांतिकारी बौद्ध चिंतक ही थे, ऐसा हमारा मानना है.
ऐसे महान क्रांतिकारी बौद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइनस्टाइन को उनके जन्मदिन पर कोटि-कोटि नमन.
(डॉ प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क)