दिल्ली: इमाम बुखारी ने जुमे की नमाज से पहले करोड़ों मुस्लिमों के लिए दिया बड़ा संदेश

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

ठीक एक सप्ताह पहले आज ही के दिन शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुआ था.

पिछले सप्ताह से सबक लेते हुए दिल्ली-एनसीआर के अलावा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पश्चिमी बंगाल समेत कई राज्यों में बृहस्पतिवार शाम से ही सुरक्षा कड़ी है. कई जगहों पर तो पुलिस के जवानों ने फ्लैग मार्च भी किया.

मुल्क को दंगे की आग में झोंकना चाहते हैं ऐसे लोग: शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी

इस बीच मुल्क के विभिन्न स्थानों पर जुमे की नमाज के बाद हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर देश की राजधानी की पुरानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के

शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने देशवासियों का आह्वान किया है कि वे ऐसे तत्वों पर नजर बनाए रखें, जो मुल्क को दंगे की आग में झोंकना चाहते हैं. देश के इंसानियत पंसद लोगों को ऐसे दहशतगर्दों से सावधान रहने की जरूरत है.

हिंसा कोई हल नहीं:

इस तरह उन्होंने इंसानियत पसंद मुसलमानों को यह संदेश दिया है कि हिंसा कोई हल नहीं है और हिंसा से कोई हल नहीं निकाला जा सकता है.

शाही इमाम बुखारी का यह अहम बयान शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज से ठीक पहले आया है, जिसमें उन्होंने लोगों से शांति की अपील की है.

ओवैसी-मदनी से सावधान रहें लोग:

आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्​दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी व महमूद मदनी के साथ ही

तौकिर रजा खान जैसे नेताओं का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि ऐसे चंद लोग है जो कौम को बर्बादी की राह पर ले जाना चाहते हैं, ऐसे तत्वों से सावधान रहना होगा. इसके लिए समाज के समझदार व जिम्मेदार लोग, जनप्रतिनिधि व बुजुर्ग लोगों को सामने आना होगा.

बिना इजाजत प्रदर्शन गलत:

शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि अब तक देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों को गलत बताते हुए कहा कि यह जरूरी था कि इसके लिए पहले से प्रशासन से सहमति ली जाती. समाज के लोगों को भी साथ में लिया गया होता.

प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से होता है:

उन्होंने यह भी कहा है कि यह सही है कि पैंगबर मुहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, लेकिन इसका विरोध करने का तरीका अलग होता.

शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन होता। उसमें बच्चों और युवाओं को शामिल नहीं किया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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