“हमारे पास धन नहीं है; लेकिन हमारे पास मानवीय संवेदना है.” “पूँजीवादी और नव उदारवादी वैश्वीकरण ने क्या दिया है?
300 वर्षों के पूँजीवाद के बाद भी विश्व में 80 करोड़ लोग भूखे हैं. अब इस वक्त 1 अरब लोग अनपढ़ हैं, 4 अरब लोग गरीब हैं, 25 करोड़ बच्चे रोज काम पर जाते हैं और 13 करोड़ लोग शिक्षा से वंचित हैं.
10 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके सर पर छत नहीं है और पाँच वर्ष से कम के 10 लाख बच्चे ऐसे हैं, जो प्रतिवर्ष कुपोषण, गरीबी या बीमारियों से मर जाते हैं.
देश के भीतर और देशों के बीच गरीबी और अमीरी में अन्तर बढ़ता जा रहा है. पिछली शताब्दी के दौरान 1 अरब
हेक्टेअर से ज्यादा संरक्षित जंगलों को नष्ट किया गया और लगभग इतना ही क्षेत्र रेगिस्तान या बंजर भूमि में तब्दील हो गया.
स्वाभाविक रूप से यह समाज की जिम्मेदारी है कि व्यक्ति को भोजन, स्वास्थ्य, छत, कपड़े और शिक्षा मिलनी चाहिए.
भरे-पूरे, तर्कसंगत, टिकाऊ और सुरक्षित जीवन का मतलब है, सांस्कृतिक सृजन, विकल्पों की विशाल संख्या और कई अन्य चीजें मानव की पहुँच में हों.
यह हो सकता है लेकिन नहीं है क्योंकि किसी निजी विमान पर 9.5 अरब डॉलर खर्च होते हैं.”
“मैं आदमी और औरत के लिए 4 घंटे का कार्य दिवस होने के बारे में सोचता हूँ. यदि हमको तकनीक इतनी सुविधा देती है तो हम 8 घंटे काम क्यों करें?
इसके लिए तर्क यह है कि जैसे-जैसे उत्पादकता बढ़ती है, वैसे-वैसे कम से कम शारीरिक व मानसिक श्रम करने की आवश्यकता होती है.
इससे बेरोजगारी कम से कम हो पायेगी और व्यक्ति को अधिक से अधिक समय प्राप्त हो सकेगा.
“वे सब कुछ खरीद सकते हैं लेकिन बहुसंख्यक आत्मा को खरीद पाने में अक्षम हैं.” वे विश्व को एक बहुत बड़े मुक्त व्यापार क्षेत्र में तब्दील करना चाहते हैं.
मुक्त व्यापार क्षेत्र में स्थापित किसी कारखाने के श्रमिकों को शायद ही कहीं निर्धारित वेतन दिया जाता है, बल्कि वेतन कारखाना मालिक
अपने देश में स्थापित कारखानों के श्रमिकों को देते हैं जो उस वेतन का 5, 6 या 7 प्रतिशत ही यहाँ काम करने वाले श्रमिकों को मिलता है.”
“संकट का लक्षण स्पष्ट है कि बाजार ईश्वर हो गया है और इसके कानून और सिद्धान्त ही संकट की जड़ हैं.”
संयुक्त राज्य अमरीका की सबसे प्रतिष्ठित कम्पनी का कुल फण्ड 4.5 अरब डॉलर का है जबकि यह कम्पनी 120 अरब डॉलर की सट्टेबाजी की गतिविधियों में लिप्त है.
“एक छोटी सी पिन, एक छोटा सा छेद और बड़े से बड़ा गुब्बारा फूट जाएगा, यही खतरा नव उदारवादी वैश्वीकरण के ऊपर मँडरा रहा है.”
इस परमाणु युग में भी विचार और चेतना हमारे सबसे अच्छे अस्त्र हैं और रहेंगे. हमें अच्छी तरह से सूचना सम्पन्न रहना चाहिए बल्कि जरूरी है कि घटनाओं को गहराई से जानें अन्यथा हम आत्म विस्मृति के शिकार हो जाएंगे.
वामपंथी यह सिद्ध करना चाहते हैं कि यह व्यवस्था नष्ट हो जाएगी, जब तक यह सच न हो तब तक यह केवल एक दलील है और इसे सच साबित करना हम सब का कर्तव्य है.
हाँ, एक छोटे दायरे में दुर्लभ सम्पदा का वितरण करने जिसमें मुट्ठीभर लोग तो सब कुछ पाते हैं, लेकिन भारी आबादी वंचित रहती है-की अपेक्षा ‘समाजवादी गरीबी’ बेहतर है.
“क्रान्ति तब तक चलती रहेगी, जब तक इस दुनिया में अन्याय मौजूद है.”
(फिदेल कास्त्रो)