PWD में किये गए भ्रष्टाचार के विरुद्ध सत्याग्रह संकल्प का 420 वां दिन

  • शासकीय तंत्र की चीर निद्रा पर बना सवालिया निशान
  • उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के निरंकुश भ्रष्ट अभियंताओं ने खोली सुशासन और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की पोल

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री के शहर में बेलगाम भ्रष्ट अभियंताओं द्वारा लगभग अरबों रुपए के कारित वित्तीय अनियमितता व आर्थिक अपराध की

प्रधान लेखाकार व मुख्य लेखा परीक्षक की वार्षिक रिपोर्ट द्वारा किए गए खुलासे के उपरांत तीसरी ‘आंख मानवाधिकार संगठन’ द्वारा

संदर्भित प्रकरण में विगत वर्ष किए गए दर्जनों शिकायत पत्रों पर वैधानिक कार्यवाही नहीं किए जाने के पश्चात भ्रष्टाचार के विरुद्ध

14 महीनों से प्रचलित ‘सत्याग्रह संकल्प’ की उपेक्षा किया जाना इस बात का इशारा करती है कि अभियंताओं द्वारा

किए गए घोटालों में शासकीय तंत्र की संगठित भागीदारी है, जो लोकतंत्र व लोकहित में स्वीकार नहीं है.

आम जनता में यह कौतूहल का विषय बना हुआ है कि 14 महीनों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रचलित सत्याग्रह संकल्प पर व्यवस्था के पोषक खामोश क्यों हैं?

संगठन द्वारा शुरू किये गये सत्याग्रह संकल्प पर विवश क्यों है? क्या शासकीय तंत्र भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने में अक्षम है?

या संगठन के बिंदुवार ज्ञापन तथ्य निराधार है? भ्रष्टाचार के ऐसे गंभीर मुद्दे पर भ्रष्टाचार मुक्त समाज का नारा देने वाले राजनैतिक व गैर राजनीतिक नेतृत्व करता कहां हैं?

संगठन के संस्थापक महासचिव शैलेंद्र कुमार मिश्र ने इस शायरी के माध्यम से व्यवस्था के पोषकों को नसीहत दिया कि

“तुमसे पहले जो शख्स यहां तख्त नशीं था, उसे भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकीं था.” बेहतर होगा कि व्यवस्था के पोषक

भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना करें वरना भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
सत्याग्रह कार्यक्रम में उपस्थित

उच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश द्विवेदी, विशिष्ठ अतिथि डॉ0 जेपी नायक, प्रदेश उपाध्यक्ष हीरा लाल गौड़,

चिकित्सा जगत से सैयद वसीम इक्बाल, संगठन के संस्थापक महासचिव शैलेंद्र कुमार मिश्रा, गिरिजेश कुमार शुक्ला ऐडवोकेट राष्ट्रीय संयोजक इत्यादि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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