शहीद-ए-आजम भगतसिंह की 115 वीं जयंती पर इंक़लाबी सलाम

तहबरपुर(आजमगढ़): शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 115 वीं जयंती के अवसर पर जनमुक्ति मोर्चा के तत्वाधान में

डॉ. अम्बेडकर पुस्तकालय (अतापुर)में संगोष्ठी सम्पन्न हुआ जिसका विषय था-“भगत सिंह के पक्ष में डॉ. अम्बेडकर और रामास्वामी पेरियार”

शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए राजेश आज़ाद ने कहा कि
भगत सिंह की फांसी के 6 छठें दिन 29 मार्च, 1931 को पेरियार ने

अपने समाचार-पत्र ‘कुदी अरासु’ में इस विषय पर ‘भगत सिंह’ शीर्षक से संपादकीय लेख लिखा. डॉ. आंबेडकर ने अपने अखबार ‘जनता’ में 13 अप्रैल, 1931 को

इन तीन युवाओं की शहादत पर ‘तीन बलिदान’ शीर्षक से संपादकीय लेख लिखा.  पेरियार की पत्रिका तमिल भाषा में निकलती थी जबकि ‘जनता’ डॉ. आंबेडकर के संपादन में निकलने वाला एक मराठी पाक्षिक पत्र था.

उपरोक्त दोनों संपादकीय इस तथ्य की गवाही देते हैं कि देश एवं समाज के लिए जीने और मरने वाले भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के प्रति पेरियार और आंबेडकर के मनोभाव क्या थे?

देश में अभूतपूर्व संकट के दौर में फासीवादी चुनौतियों का सामना करने के लिए क्रांतिकारी ताकतों को ‘मजदूर-किसान एकता’ पर आधारित व्यापक जनांदोलन खड़ा करना होगा.

जातिविहीन व वर्गविहीन समतामूलक समाज की स्थापना के लिए तमाम महापुरुषों के अंतर्विरोधों के साथ-साथ एकता के पहलूओं को भी सामने लाना होगा.

मुख्य वक्ता के बतौर किसान नेता दुखहरन राम ने शहीदे आज़म भगतसिंह को क्रांति की जलती हुई मशाल बताते हुए कहा कि-

“उनकी संवेदना और विचारों का दायरा मनुष्य-मनुष्य के बीच खड़ी की गई सभी दीवारों को तोड़ देता है.”

लेकिन शोषित-शासक वर्ग की व्यवस्था में एक तरफ देश की 90 फीसदी संपति 1-2 फीसदी आडानी-अंबानी जैसे पूंजिपतियों के हाथ में कैद हो गई है,

तो दूसरी तरफ जनता को धर्म-जाति व शराब के नशे में धुत्त करके ओवर टाईम मजूरी करने वाला ‘सस्ता गुलाम मजदूर’ बनाया जा चुका है. उसे चिंतन, विमर्श, संगठन व जनवादी संघर्षों से विमुख किया जा चुका है.

रिहाई मंच के नेता राजीव यादव ने कहा कि सरकारें एक तरफ लोकतांत्रिक संगठन व जनांदोलनों को बदनाम, दमन करते हुए प्रतिबंध लगा रही है तो दूसरी तरफ शहीदों के क्रांतिकारी विचारों को छिपा रही है.

देश में सत्ता के खिलाफ बोलने बालों को फर्जी केसों में फँसाकर जेलों में ढकेला जा रहा है. ‘जय किसान आंदोलन’ के नेता राजनेत यादव ने कहा कि

“आज निजीकरण की तरफ समाज को ढकेल कर आमजन को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार से वंचित किया जा रहा है.”

संगोष्ठी में रामसूरत भारती, बी.आर. सेनानी, रामजतन चौहान, कृष्ण मोहन शम्भूनाथ, रामकरण, चंद्रभान, अवधेश यादव, अखिलेश यादव, नौमीराम, रामराज आदि ने भी अपनी बातें रखी.

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!