मेडिकल कॉलेज के संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नहीं मिला 4 माह से वेतन

  • कहीं वेतन के लाले, कहीं नौकरी से गए निकाले, सरकारी विभाग भी प्राइवेट कंपनियों के हवाले–रूपेश
  • संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियमावली बनाकर समय बद्ध तरीके से वेतन देने की व्यवस्था करें सरकार–अश्वनी

गोरखपुर: संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल ‘राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद’ के अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव से

पीडब्ल्यूडी डाक बंगला परिषद में मिलकर अपना दर्द बयां किया और उन के माध्यम से सरकार से गुहार लगाया कि शीघ्र ही संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियमावली बनाकर उन्हें समय से वेतन दिया जाए.

वेतन ना मिलने की स्थिति में हम सभी संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का परिवार दाने-दाने को मोहताज है.

ऐसे में अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारी सप्लाई करने वाले कम्पनियों की होगी.

सभी संविदा/आउट सोर्सिंग कर्मचारियों को संबोधित करते हुए परिषद की अध्यक्ष रुपेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि-

“कितनी विडंबना की बात है कि सरकार सभी विभागों में नियमित भर्ती न करके संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के माध्यम से अपना काम करा रही है.”

लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उन कर्मचारियों को कहीं वेतन भी समय से नहीं मिल रहा है, तो कहीं उनका नवीनीकरण ना करके उनको नौकरी से निकाला जा रहा है.

धीरे-धीरे सरकारी विभाग प्राइवेट कंपनियों के हवाले किया जा रहा है. यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं कि कर्मचारी दिन भर नौकरी करके शाम को भीख मांगेगा

क्योंकि इतने कम वेतन में न तो वह अपने परिवार का पेट पाल सकता है और न हीं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकता है.

उन्होंने कहा कि हम यह कैसे देश का निर्माण कर रहे हैं जहां हम नौकरी करके न अपने परिवार का पेट पाल सकते हैं और न ही अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दे पा रहे हैं.

श्री श्रीवास्तव ने माननीय मुख्यमंत्री जी से हाथ जोड़कर अपील किया कि आप तो पीठाधीश्वर अर्थात ईश्वर के रूप हैं.

इसलिए आप इन सभी कर्मचारियों का दर्द समझिये और सभी विभागों के संविदा/आउट सोर्सिंग कर्मचारियों की नियमावली बनाकर उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने लायक वेतन देने की कृपा करें.

मंत्री अश्वनी श्रीवास्तव ने कहा कि हम सरकार से यह गुहार लगाते हैं कि वह शीघ्र ही संविदा, आउट सोर्सिंग कर्मचारियों की नियमावली बनाएं और उन्हें समयबद्ध तरीके से

वेतन देने का भी काम करें क्योंकि एक तो इन कर्मचारियों को बहुत ही कम वेतन मिलता है. दूसरे अगर समय से वेतन नहीं मिला तो इनका परिवार दाने-दाने के लिए तरस जाएगा.

बच्चों की फीस भी नहीं दे पाएंगे. हम सरकार से मांग करते हैं कि वह वह इनके स्वत: नवीनीकरण और समयबद्ध तरीके से वेतन

देने का व्यवस्था करें अन्यथा संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को हटाकर नियमित भर्ती की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं.

संगठन के उपाध्यक्ष मदन मुरारी शुक्ल ने कहा कि हम सरकार को बताना चाहते हैं कि भूखे भजन न होय गोपाला.

संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारी अल्प वेतनभोगी हैं, ऐसे में अगर उन्हें चार-चार महीने वेतन ही नहीं मिलेगा तो वह अपना और अपने परिवार का पेट कैसे भर सकेंगे.?

ऐसी स्थिति में या तो वह कर्ज लेंगे, भीख मांगेंगे या फिर चोरी करेंगे. हम सरकार से जानना चाहते हैं कि वह कर्मचारियों से सरकारी काम कराना चाहती है या वेतन न देकर उनसे चोरी करवाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि कोई भी धनाढ्य व्यक्ति संविदा और आउटसोर्सिंग की नौकरी नहीं करता है बल्कि हमेशा गरीब तबका ही ऐसी नौकरी करता है.

ऐसे में अगर उसे समय से वेतन ही नहीं मिला तथा नवीनीकरण के अभाव में उसे नौकरी से निकाल दिया गया तो वह कैसे जीवित रहेगा.?

सरकार कर्मचारियों की विवशता पर भी सहानुभूति पूर्वक विचार करे और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने लायक समयबद्ध तरीके से वेतन दे.

इस अवसर पर रूपेश कुमार श्रीवास्तव, अश्वनी श्रीवास्तव, गोविंद जी, मदन मुरारी शुक्ल, बंटी श्रीवास्तव, शब्बीर अली, कृष्ण मोहन गुप्ता, इजहार अली, राघवेन्द्र कुमार सहित सभी संविदा/आउटसोर्सिंग कर्मचारी मौजूद रहे.

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