गोरखपुर: ‘बुद्ध से कबीर तक यात्रा’ अपने पाँच दिवसीय कार्यक्रम के साथ हुई सम्पन्न

गोरखपुर: बुद्ध से कबीर तक यात्रा के इस वर्ष के पांच दिवसीय कार्यक्रम का आज अंतिम दिन रहा. यह यात्रा सुबह टाउन हॉल पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण

कर प्रारम्भ हुई और बैंक रोड, विजय चौक, गणेश चौक से शास्त्री चौक होते हुए कचहरी चौराहे पर पहुंची जहां बाबासाहेब अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण

करके छात्रसंघ चौराहे पर स्वामी विवेकानंद को पुष्प अर्पित करने के बाद विश्वविद्यालय के सामने पंत पार्क पर समाप्त हुई.

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इस यात्रा में एमएसआई इंटर कॉलेज के छात्र व शहर के गणमान्य लोग शामिल हुए. ‘बुद्ध से कबीर तक संस्था’ के संरक्षक डॉ विनोद मल्ल (पूर्व डीजीपी गुजरात) ने बताया कि-

“26 नवम्बर का दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसलिए हमारी यह यात्रा आज संविधान यात्रा के रूप में निकाली जा रही है.

देश में शांति, सद्भावना, आपसी भाईचारे के उद्देश्य से विगत पांच वर्षों से देश के विभिन्न इलाकों में निकाली जा रही है.” 

यह यात्रा बुद्ध, कबीर, महात्मा गांधी, गुरु गोरक्षनाथ के विचारों की यात्रा है जिसके माध्यम से इन महापुरुषों की शिक्षाओं को जनता में प्रचारित करने का प्रयास किया जा रहा है.

पंत पार्क में एकत्रित हुए यात्रियों को डॉ. मल्ल और फादर आनंद ने संविधान की उद्देशिका पढ़कर शपथ दिलाई और उन्हें एकता और सद्भावना की राह पर चलने की अपील की.

इस यात्रा का समापन शाम को पादरी बाजार स्थित पीजीएसएस के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम के साथ हुआ. फातिमा नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं के समक्ष

वाराणसी से आए प्रेरणा कला मंच के कलाकारों ने नाटक ‘कबिरा खड़ा बाजार में’ प्रस्तुत किया. बुद्ध से कबीर तक बैंड के तरानों पर उपस्थित दर्शक झूम उठे.

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छात्राओं को संबोधित करते हुए सीनियर आईएएस श्रीमती अनुराधा मल्ल ने कहा कि देश की गौरवशाली विरासत के वाहक के रूप में

युवाओं को आगे आना होगा और नफरत तथा बंटवारे की भावना को खत्म करने के किये बुद्ध, कबीर और गांधी के बताए रास्ते पर चलना होगा.

संस्था के मीडिया प्रभारी अजीत सिंह ने बताया कि इस साल की पांच दिनों की यह यात्रा गोरखपुर, महराजगंज और देवरिया जनपद में सम्पन्न हुई,

जहां विभिन्न संस्थानों में अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया.

इस कार्यक्रम में फादर साबू, सेराज अहमद अब्दुल्ला, प्रवीण गुप्ता, सरदार जसपाल सिंह, एचएस मल्ल, शैलेन्द्र कबीर, जगदम्बा राज, देवयानी, आकृति विज्ञ आदि उपस्थित रहे.

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