वाराणसी: चालक के रूप में अपनी जिंदगी के 25 साल गुजारने वाले परिवहन फोरम भारतीय मीडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जुबेर खान बागी ने कहा कि
मैंने जिंदगी के लगभग 32-35 वर्ष चालकों के बीच में गुजारी लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे-वैसे चालकों पर नए-नए नियम,
कानून बनाकर शासन-प्रशासन द्वारा उनका शोषण व अत्याचार करने का काम जारी है. बनारस में एक दिन आप पूरे बनारस शहर को घूमें मुझे बताने की जरूरत नहीं है, सारी चीजें खुलेआम हो रही हैं.
यूनियन बने, उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं किया जिससे इन चालकों के जीवन में बदलाव आये. ऐसे में मैंने निर्णय लिया है कि इन यूनियन के लोगों से हटकर खुद चालकों की टीम तैयार करूँ.
जिन लोगों ने अपनी सारी जिंदगी इन ऑटो चालकों के बीच में गुजारी और अच्छा काम किया उनको भी सम्मानित पदों पर नियुक्तियां मिले और उनका सम्मान हो.
सवाल यूनियन और संगठन का नहीं है, अब तो लड़ाई बढ़ते हुए करप्शन और शोषण की सीमा पार कर चुके लोगों तथा वयवस्था के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध है.
बनारस में हम हर एक अधिकारी से रोज मिलेंगे, सारे अधिकारियों को ज्ञापन पत्रक देंगे. यदि इसके बाद भी चालकों के शोषण
के विरुद्ध इन लोगों ने कार्यवाही नहीं की तो मजबूरन मुझे शासन में बैठे मंत्री, मुख्यमंत्री और तमाम प्रशासनिक अधिकारी जो जिले के अधिकारियों की कमान अपने हिसाब से चलाते हैं, के सामने रखो रखा जाएगा.
चालक के ऊपर हो रहे शोषण और अत्याचार को बंद कराएं वरना इसका अंजाम भी भुगतने के लिए तैयार रहें.
चालक भी मतदाता है, हर कोई को सरकारें कुछ ना कुछ देती है लेकिन वाहन स्वामियों, वाहन चालकों से सिर्फ लेती है.
यातायात विभाग, आरटीओ विभाग, नगर निगम विभाग सिर्फ लेना जानते हैं, वह अपनी जिम्मेदारी को एक परसेंट भी निभाने का काम नहीं करते हैं.
तमाम यूनियन और संगठन जो बन चुके हैं, इन सबके रजिस्ट्रेशन को निरस्त किया जाए. जिला अध्यक्ष का चुनाव जिले के
डीएम और कमिश्नर की देखरेख में चालकों द्वारा ही कराया जाए. लड़ाई लंबी और मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं, जीती जा सकती है.