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कभी कांग्रेस के मजबूत स्तंभ के रूप में पहचान रखने वाले सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस से अलग होने के बाद बड़ा हमला बोला है.

वर्तमान में भाजपा से केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी तथा कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि-

“कांग्रेस संसद को नहीं चलने दे रही है. राहुल स्वयं को कहते हैं कि मैं गांधी हूं और गांधी कभी माफी नहीं मांगते हैं.”

मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि सड़कों को रोक देना, लोकतंत्र का अपमान करना, सड़कों पर हंगामा करना क्या गांधीवादी सिद्धांत है?

दरअसल राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद सिंधिया ने बताया कि पहली बार किसी सांसद की सदस्यता छीनी गई है जिसके कारण राहुल घबरा गए हैं.

2013 में भी जब राहुल ने अध्यादेश फाड़ दिया था तब उन्हें खुद पर विचार करना चाहिए था. वास्तविकता यह है कि गांधी परिवार के लिए राहुल अलग से कानून चाहते हैं.

वे राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं जिसकी जितनी भी आलोचना की जाए कम होगी.

कांग्रेस अब 0 विचारधारा वाली पार्टी है. राहुल का भीड़ के साथ सूरत कोर्ट जाना क्या यह कृत्य कोर्ट पर दबाव बनाने के समान नहीं है.?

कांग्रेस को इस बात का जवाब देना होगा कि आखिर एक खास व्यक्ति के लिए ऐसा क्यों किया जा रहा है.? सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी दुर्भाग्य से नए निचले स्तर पर गिर गई है.

देश में एक माहौल बनाया जा रहा है. शहर-शहर में ट्रेनें रोककर आमजन को परेशान किया गया. क्या यह गांधीवाद का सिद्धांत है? एक व्यक्ति विशेष के लिए ऐसा क्यों हो रहा है?

वहीं कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य के प्रहार पर जवाब देते हुए कहा है कि-“सिंधिया जी ऐसी बात करते हैं तो हंसी आती है. जो अपने आप को राजनीतिक रूप से

प्रांसगिक बनाने के लिए पार्टी बदल ले, नजरें बदल ले, वह व्यक्ति हमें भाषण दे रहे हैं कि राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनने के लिए क्या करना चाहिए.”

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