‘पूर्वांचल के गाँधी’ ने सुझाया नए संसद भवन का नाम ‘लोकतंत्र भवन’ अथवा ‘स्वराज भवन’ हो

अपनी बेबाक बयानी तथा स्पष्टवादिता के लिए पहचान रखने वाला बड़ा नाम जिन्हें ‘पूर्वांचल का गांधी’ कहा जाता है, ने 28 मई को नए संसद भवन

सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट का होने वाले उद्घाटन के मौके पर मचे कोहराम में अपनी राय रखते हुए कहा है कि इस भवन का उद्घाटन

महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से कराया जाना चाहिए क्योंकि नवनिर्मित संसद भवन देश के 142 करोड़ जन का समान रूप से अधिकार है और गण के मुखिया राष्ट्रपति हैं.

ऐसे में सेंट्रल विस्टा के उद्घाटन करने को संवैधानिक अधिकार राष्ट्रपति का है. यदि इसके विपरीत कुछ भी हुआ तो इससे संवैधानिक तथा नैतिक मर्यादा चकनाचूर होंगी.

इसके अतिरिक्त सेंट्रल विस्टा शब्द की उत्पत्ति साम्राज्यवादी है. ऐसे में इसका नामकरण लोकतांत्रिक तरीके से किया जाना चाहिए.

जिसके लिए संसद के दोनों सदनों में बहस हो और बहुमत से इसका नाम रखा जाए. व्यक्तिगत तौर पर मैं सेंट्रल विस्टा का नाम ‘स्वराज भवन’, ‘समाजवादी भवन’, विधान भवन ‘लोकतंत्र भवन’ जैसे नाम सुझाता हूं.

यह नाम कहीं ना कहीं गांधी जी के स्वराज, भगत सिंह के समाजवाद तथा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के ‘संविधान’ तथा ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था’ से अनुप्राणित है.

बताते चलें कि डॉ मल्ल ने हॉनरेबल प्रेसिडेंट, राज्यपाल उत्तर प्रदेश तथा लोकसभा स्पीकर को भी ज्ञापन सौंपा है. फिलहाल भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गई है.

टीएमसी तथा आम आदमी पार्टी के अतिरिक्त लेफ्ट राजनीतिक दलों ने भी संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम से दूरी बनाते हुए कहा है कि

इस भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं बल्कि राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए. इस मामले को लेकर विपक्षी राजनीतिक दल संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं.

उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने वाले पार्टी के फैसले से रूबरू कराते हुए टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि

संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है यह पुरानी परंपराओं मूल्यों और नियमों का प्रतिष्ठान भी है. यह भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला है.

प्रधानमंत्री मोदी के लिए संसद भवन का उद्घाटन समारोह ‘आई,’ ‘मी’ और ‘माइसेल्फ’ का इवेंट है इसलिए हम इससे बाहर हैं.

आम आदमी पार्टी ने बताया है कि इस समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किए जाने की वजह से हमने समारोह से दूरी बनाने का फैसला किया है.

इस संबंध में आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं करना उनका घोर अपमान है.

यह भारत के दलित, आदिवासी तथा वंचित समाज का भी अपमान है. इसलिए हम ऐसे कार्यक्रम का विरोध करते हैं.

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि जब नई संसद भवन की आधारशिला रखी जा रही थी तो उसमें भी नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति को दर किनार कर दिया था. किंतु उद्घाटन समारोह में भी उनको ना बुलाया जाना अपमान है जिसे हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

आपको बताते चलें कि वर्तमान में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 माननीय सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है भविष्य की

जरूरतों को देखते हुए संसद के इस नवनिर्मित भवन में लोकसभा 888 जबकि राज्यसभा से 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है.

दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन लोकसभा चेंबर में ही किए जाएंगे. नए संसद भवन में लाउंज, पुस्तकालय समितियों से जुड़े, कुछ भोजन क्षेत्र तथा पर्याप्त पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है.

इस संसद को बनाने का टेंडर टाटा प्रोजेक्ट को वर्ष 2020 के सितंबर में दिया गया था. इसकी लागत ₹861 करोड़ मानी गई थी, किंतु बाद में कुछ अतिरिक्त कामों की वजह से 1200 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है.

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