- लोकतांत्रिक विरोधों का दमन बंद करो; सभी गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को रिहा करो
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा समर्थित महिला पहलवानों द्वारा बुलाए गए लोकतांत्रिक विरोध को रोकने के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 28 मई से सीमाओं को बंद कर रखा है.
कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने के साथ ही कई को घर में नजरबंद कर दिया. किसानों और महिलाओं को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए बॉर्डर बंद कर दिए गए.
विडंबना यह है कि जिस दिन प्रधानमंत्री ने नई संसद का उद्घाटन किया, उपायों में बल का अभूतपूर्व उपयोग देखा गया.
यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपने संघर्ष के समर्थन में महिला पहलवानों और विभिन्न खिलाड़ियों,
महिलाओं, किसानों को पुलिस द्वारा हाथों में राष्ट्रीय ध्वज तक का घोर अनादर दिखाते हुए घसीट कर अलग-अलग थानों में ले जाया गया.
विनेश फोगट, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और भारत के लिए पदक जीतने वाले अन्य लोगों पर बिना किसी उकसावे के हमला किया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
अभी तक उनके ठिकाने की कोई खबर नहीं है. जिस तंबू में वे शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे थे, उसे भी पुलिस ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया.
सुभाषिनी अली, जगमती सांगवान, एनी राजा, पूनम कौशिक, मैमूना मोल्लाह सहित विभिन्न महिला संगठनों के नेताओं और महिला किसान नेताओं
चरणजीत कौर धूरियन, दविंदर कौर हरदासपुरा और अन्य को हिरासत में लिया गया. एसकेएम का मानना है कि इससे भाजपा के महिला विरोधी,
अलोकतांत्रिक चरित्र का पता चलता है और यौन उत्पीड़न के आरोपी लोगों की रक्षा करने के लिए वे कितना नीचे गिर सकते हैं.
यह प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ नारे के खोखलेपन को दर्शाता है. बताते चलें कि महिला सम्मान महापंचायत में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में महिला पहलवान एकजुटता के साथ आ रही थीं.
रोहतक, हिसार, भिवानी, जींद, फतेहाबाद, सांपला, पलवल, गुड़गांव और अन्य स्थानों पर दमन शुरू किया गया और हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया.
पंजाब की महिलाओं और किसानों को नरवाना के पास पंजाब-हरियाणा सीमा पर हिरासत में लिया गया, इसके विरोध में उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया.
अंबाला शहर के गुरुद्वारा मंजी साहिब में सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया. कई किसानों को सिंघू बॉर्डर के पास हिरासत में लिया गया और सोनीपत के पुलिस थाने ले जाया गया.
खबर लिखे जाने तक करीब एक हजार की संख्या में टिकरी बॉर्डर की ओर मार्च कर रहे किसानों को हिरासत में लिया गया है.
एसकेएम नेता राकेश टिकैत और 2000 से ज्यादा किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे जहां उन्हें रोक लिया गया. किसानों को रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों से भी हिरासत में लिया गया.
एसकेएम सभी लोकतांत्रिक वर्गों से विरोध में खड़े होने का आह्वान करता है. एसकेएम ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को चेतावनी दी है कि यौन उत्पीड़कों को गिरफ्तार करने और दंडित किए जाने तक संघर्ष को तेज और जारी रखा जाएगा.