विगत लंबे समय से प्रो कमलेश तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के बीच जो तनातनी चल रही है वह किस मुकाम तक पहुंचेगी अभी यह तय नहीं हो पा रहा है.
इस लड़ाई में एक तरफ कर्तव्यबोध है तो दूसरी तरफ तानाशाही और जिद्द से भरा अड़ियल वर्चस्व, तभी तो विश्वविद्यालय प्रांगड़ द्वन्द का अड्डा बन गया है.
इस सम्पूर्ण प्रकरण को लेकर ‘पूर्वाञ्चल के गांधी’ कहे जाने वाले डॉ सम्पूर्णानन्द मल्ल ने राज्यपाल महोदया को पत्र लिखकर अवगत कराते हुए पूछा है कि
एक बेगुनाह ‘अनुशासित’ आचार्य को तीसरी बार निलंबित करने से पहले कुलपति को अपने आप से पूछना चाहिए कि वह क्या कर रहे हैं?
क्या इसमें थोड़ी सी भी कानून’, ‘न्याय’, ‘संविधान’, अनुशासन ‘चरित्र’, मानवता’ जीवित है? ऐसी दशा में जब कि मा• उच्च न्यायालय ने ‘निलंबन स्थगित’ कर दिया था
और विवि ने 25 जून को उन्हें दूसरी बार ज्वाइन भी करा लिया फिर 2 दिनों बाद ही 28 जून को पुनः उन्हें क्यों निलंबित किया गया?
राज्यपाल कुलाधिपति महोदया कुलपति के इस ‘मनमाना’ एवं ‘असंवैधानिक’ कृत्य से प्रो कमलेश की मानसिक दशा, उनका परिवार किस संताप में जी रहा है?
इसकी भी पड़ताल कि जानी चाहिए क्योंकि ऐसी ही दशा में कोई व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. क्या योगी गोरख की नगरी में कोई संवेदनशील नहीं जो कुलपति से यह पूछ सके कि एक अनुशासित आचार्य को क्यों निलंबित कर दिया है?
मै चाहता हूँ कि बिना विलंब किए प्रो कमलेश गुप्ता का निलंबन रद्द हो तथा कुलपति को हटाया जाए. साथ ही कुलपति पर लगे आरोपों की ‘मजिस्टेरियल’ या न्यायिक जांच कराई जाय ताकि सच्चाई बाहर आए.
मेरी यह भी मंशा है कि 5 जुलाई की शाम तक विश्वविद्यालय कैंपस सौहार्द के वातावरण में बदल जाए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो 6 जुलाई को “सत्यपथ” पर चलते हुए
मै दिन के 11 बजे विश्वविद्यालय गेट पर माननीय गवर्नर का पुतला जलाऊंगा. इस स्थिति में यदि मेरे साथ बल प्रयोग किया गया तो मैं “हंगर ऑन टू देथ” के लिए विवश होऊंगा. मेरे जीवन रक्षा की सारी जिम्मेदारी राज्यपाल महोदया की होगी.
बताते चलें कि डॉ मल्ल किसान पुत्र किसान हैं जिन्होंने जरूरतमंदों का जीवन बचाने के लिए 50 यूनिट स्वैच्छिक रक्त “गोरखनाथ ब्लड बैंक” को दान दिया है.
इन्होंने 10 हज़ार पेड़ों का ‘योगी गोरख उद्यान” लगाया है तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के विख्यात इतिहास विभाग से पुरातत्व एवं इतिहास विषय में पीएचडी हैं.
वर्तमान में यह दो हजार पुस्तकों की निजी “शांतिवन पुस्तकालय” में ”हिंदू मुस्लिम एकता” एवं गरीबी उन्मूलन” पर शोध भी कर रहे हैं.