- 15 अगस्त तक महंगाई नहीं मरी तो संसद नहीं चलने दूंगा: पूर्वाञ्चल गांधी
पर्यावरणविद, समाजसेवी, किसान पुत्र किसान, 50 यूनिट स्वैच्छिक रक्तदाता तथा पूर्वांचल के गांधी कहे जाने वाले डॉक्टर संपूर्णानंद मल्ल ने महंगाई पर प्रहार करते हुए
केंद्र सरकार को निशाने पर लेकर चेतावनी दिया है कि “यदि 15 अगस्त तक महंगाई रूपी क्राइम समाप्त नहीं हुआ तो 16 अगस्त से वह दिल्ली स्थित संसद के सामने 545 सांसदों को वोट ना देने के लिए सत्याग्रह प्रारंभ करेंगे.
जब देश गरीब था तब सब कुछ सस्ता था परंतु आज जब नरेंद्र मोदी के काल में देश अमीर हुआ है तो फिर असहनीय महंगाई कैसे.?
इस महंगाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ संसद के 545, 243 सांसद बराबर रूप से जिम्मेदार हैं. उनकी नजरों के सामने महंगाई की आग में
लगभग 100 करोड़ गरीब भुजा रहे हैं और सांसद गण बड़े-बड़े वेतन भत्ते पेंशन ले रहे हैं, शानो शौकत ऐश्वर्य का जीवन जी रहे हैं.
इन सांसदों के भीतर न तो जवाबदेही है न अनुशासन और न संवेदना. गरीबी एवं महंगाई “मदर आफ डेमोक्रेसी” की “मदर” संसद” से ही निकली है, इसे मैं नहीं चलने दूंगा.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जमाने में मैंने ₹8 के किराए में 53 KM रेल यात्रा एवं 4200 रुपए में दिल्ली विश्वविद्यालय के विख्यात इतिहास विभाग से पीएचड किया.
चावल, आटा, गेहूं, चीनी, तेल, दाल पर हमने कभी टैक्स नहीं दिया. प्रधानमंत्री जी उत्पादन बढ़ाकर सामान निर्यात कर विदेश से पैसा कमाकर 5 ट्रिलियन इकोनामी बनाइए.
टैक्सेशन एवं महंगाई से लोगों की चमड़ी उधेड़ कर 5 ट्रिलियन इकोनामी बनाने का आग्रह क्या 142 करोड़ लोगों एवं 800 सांसदों में से किसी ने किया?
नहीँ, परिणाम सामने है. जीवन एवं मानवता नजर के सामने मर रही है, तेल के अभाव में सौ करोड़ गरीब पानी में तरकारी बनाकर खा रहे हैं.
दाल के अभाव में लोग रोटी, पानी, नमक खा रहे हैं. मैं इतना ही पूछना चाहता हूं कि इस मुल्क के साथ प्रधानमंत्री जी आप क्या करना चाहते हैं? मुझे जवाब चाहिए.
महंगाई ‘अपराध’ है, ऐसा अनोखा अपराध जो मात्र गरीबों को अपंग और ‘कुपोषित’ करता है तथा असमय मौत लाता है, महंगाई से मनुष्यता मर रही है.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इन्होंने कहा कि राइट टू इक्वलिटी एंड राइट टू फ्रीडम का संविधान कहां है? जिस मंत्री ने निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स लगाया है, वह स्वतः अपने आप से पूछें कि उनमें कितना अनुशासन है?
लोगों के वोट से सांसद/मंत्री बने, लोगों की जमीन, लोगों का पैसा, सड़कें मजदूरों ने बनाई और उन्हीं लोगों की गाड़ियों पर टैक्स?
महंगाई के प्रमुख कारणों में चुनाव सबसे बड़ा करण है. विधायिका के जागीरदार बार-बार चुनाव लड़ते हैं, वे जीवन भर सदन मे बने रहना चाहते हैं फिर भी अपने को डेमोक्रेसी के रक्षक मानते हैं.
चुनाव पर खर्च होने वाला एक रुपए भी टैक्स “चोरी”, “चंदा” “लूट” का होता है. परिश्रम के पैसे से कोई व्यक्ति परिवार तो जिला सकता है परंतु चुनाव नहीं लड़ सकता.
ऐसा लगता है कि सरकार लूटपाट गिरोह बंद दल की तरह काम कर रही है न कोई संविधान” न मानवता’ न संवेदना.”
5 किलो खैरात “भीख पर कीड़े मकोड़े की तरह जीने वाले लगभग 100 करोड़ गरीब, कंगाल, दाल, तेल, दवाई, पढ़ाई कहीं आने-जाने के लिए रेल या बस किराया कहां से लाएंगे?
विश्व विख्यात अर्थशास्त्री एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को कहां पहुंचाया था?
भूतल परिवहन मंत्री कृषि भारत को “एक्सप्रेसवे भारत” बनाने में लगे हैं.
वित्त मंत्री ने हमारे पेट पर ही जीएसटी लगा दी, रेल मंत्रालय ने न्यूनतम किराया ₹30 कर दिया लोगों की पैसेंजर गाड़ियां ही बंद कर दी.
सदन में कानून बनाते समय आप 545 यह भी भूल जाते हैं कि वे लोगों के वोट की भीख से सदन में पहुंचे हैं. वायसराय इर्विन निर्मित सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली
जिसे आप संसद कहते हैं और फरिश्ता का दिया हुआ मानते हैं, के प्रति मेरे मन में उतना ही सम्मान है जितना भगत सिंह अशफ़ाकउल्ला खां, महात्मा गांधी में था.
ऐसी डेमोक्रेसी में मैं जरा सा विश्वास नहीं करता जो लगभग 5,000 लोगों की जागीर है, उनके कब्जे में है, उसमें पहुंचने के उपरांत इच्छानुसार कानून बनाते हैं.
प्रधानमंत्री जी इतिहास के पन्ने आपकी सत्ता को “क्रूर हुकूमत” के रूप में दर्ज कर चुके हैं. आपकी सत्ता पतग पथ पर आंधी की गति से भाग रही है.
क्योंकि महंगाई रूपी अपराध आप ने पैदा किया है इसलिए इसे समाप्त कर दीजिए. अलग से कुछ नहीं करना है केवल टैक्स दर में की गई वृद्धि वापस ले लीजिए. शिक्षा, चिकित्सा, संचार फ्री कर दीजिए जैसे विधायिका के सदस्यों की है.
पत्र कि इस प्रतिलिपि को इन्होंने सभापति लोकसभा राज्य सभा, सांसद गण, डॉ मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, नजमा हेपतुल्ला, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री,
भूतल परिवहन मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, रेल मंत्री, वित्त मंत्री, राहुल गांधी, मेनका गांधी सभी मुख्यमंत्रियों, अन्ना हजारे, किरण बेदी, माननीय सर्वोच्च न्यायालय,
ह्यूमन राइट्स कमीशन, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस मार्कंडेय काटजू, दिल्ली हाईकोर्ट,
इलाहाबाद हाईकोर्ट, प्रमुख सचिव गृह भारत सरकार, आईबी, कमिश्नर दिल्ली पुलिस, प्रमुख सचिव गृह उत्तर प्रदेश कमिश्नर, गोरखपुर डीएम, गोरखपुर एसएसपी गोरखपुर
सम्माननीय संपादक द टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, बीबीसी, द हिंदू, अमर उजाला, हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, रवीश कुमार, अजीत अंजुम, प्रसून बाजपेई अभिसार शर्मा, जुबेर आदि को भी भेजा है.