जनहित याचिका: कुछ ‘न्याय’ हमारे साथ भी किया जाए-पूर्वाञ्चल गांधी

गरीबों एवं शोषितों की आवाज, पर्यावरणविद, समाजसेवी, पूर्वाञ्चल गांधी कहे जाने वाले डॉ सम्पूर्णानन्द मल्ल ने जनहित याचिका दायर करते हुए लिखा है कि

हमें गरीबी पहले ही सता रही थी अब महंगाई मार रही है. हमें दाल नहीं मिलती, हम रोटी-पानी-नमक खा रहे हैं. हमारी सब्जी पानी में पकती है.

महंगी शिक्षा, चिकित्सा, जनसंचार को पैसे पर बाजार में बेचा जा रहा है. हम न्याय से हम वंचित हैं क्योंकि हम 80 करोड लोगों के पास एक रुपए नहीं हैं.

हमारे चारों तरफ नफरत एवं अराजकता फैली है. हम नहीं जानते कि डेमोक्रेसी क्या है? समानता का संविधान कहां है?

‘भगत सिंह जयंती 27 सितंबर को संसद पर करूंगा आमरण अनशन:

मेरे दर्जनों पत्रों का कोई जवाब नहीं, मानो भारत में ब्रिटिश वायसरायलिटी हो. मैं कैसे महसूस करूं कि ‘लोकतंत्रात्मक गणतंत्र में जी रहा हूं.?

मै बार-बार निवेदन कर रहा हूं- मुझे संविधान चाहिए न कम नअधिक. हमारे देश में ‘समानता’ कब लागू होगी, जब हम अभाव में मर जाएंगे तब?

इन्होंने परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय को संबोधित करते हुए लिखा है कि अब जबकि संसदीय चुनाव 6 माह रह गए हैं, ऐसे में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’

का स्लोगन भारतीय राजनीति में असमंजस, अफवाह और अराजकता पैदा करेगा. इससे लोग गुमराह होंगे तथा राजनीति के प्रति लोगों में संशय पैदा होगा.

यह स्लोगन अन कंस्टीट्यूशनल, अन डेमोक्रेटिक आर्बिट्रेरी है. चुनाव खर्च कम करने के विचार सच के कितना समीप है? इस बात से सिद्ध है कि पिछले दो संसदीय चुनाव अब तक के सबसे महंगे चुनाव हुए हैं. 

यदि कानून बनाना ही है तो विधायिका की सदस्यता “एक बार”/वन टाइम मेंबरशिप” का कानून पारित कर लीजिए.

इसका सकारात्मक परिणाम होगा जैसे-★ भारत का लोकतंत्र मजबूत स्थापना की ओर बढ़ेगा, नई युवा शक्ति को लोकतंत्र में भागीदारी का मौका मिलेगा.

भारत से बेरोजगारी, गरीबी, विषमता, महंगाई, हिंदू-मुस्लिम नफरत’ जातीय जहर’ चोरी’ भ्रष्टाचार मिट जाएगा क्योंकि इन समस्याओं की

उत्पत्ति विधायिका ‘कार्यपालिका’ सदस्यों की शानो-शौकत, विलासी जीवन एवं ‘सत्ता भूख’ के कारण हुई है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत एक ‘जीवंत राष्ट्र’ है. 

इसका एक लिखित जीवित संविधान है. अनगिनत क्रांति वीरों की फांसी और कुर्बानी के बाद हमें आजादी मिली है.

वन इलेक्शन का कानून यदि पास करना था तो इसे सदन में पहले ही लाना एवं विचार विमर्श करना चाहिये था. 6 माह बाद चुनाव है जो कि डेमोक्रेसी तथा संविधान को शीशे की तरह चकनाचूर कर देगा.

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!