Gorakhpur: पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के जॉइन्ट सेक्रेटरी, सामाजिक एवं ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट तथा प्रवक्ता एके सिंह ने पीएम मोदी के भाषण पर
कटाक्ष करते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस द्वारा जनता के सामने पेश किए गए घोषणा पत्र ने मोदी के पांव के नीचे से जमीन
खिसका दिया है इसलिए वे अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल पर उतर आए हैं. पांव के नीचे से खिसकती जमीन देख कर, विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की
बात कहने वाले प्रधानमंत्री हिंदू-मुस्लिम एजेंडे पर उतर आए हैं. प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि माताओं बहनों के मंगल सूत्र को कांग्रेस छीन कर मुसलमानों को दे देगी-बेहद हल्की और शर्मनाक टिप्पणी है.
मंगल सूत्र पर चर्चा, उनके मुंह से अच्छा नहीं लगता है, उनके लिए मंगल सूत्र के कोई मायने नहीं हैं. मोदी जी भूल जा रहें हैं कि वो भारत के प्रधानमंत्री हैं न कि संघ के स्वयंसेवक.
अगर उनके अंदर जरा सा भी नैतिक साहस हो तो ताल ठोक कर, उन्हें अपने चुनावी मंच से यह कहना चाहिए कि वे इस मंच और देश के संसाधनों का प्रयोग
संघ के स्वयंसेवक के रूप में कर रहे हैं, न कि प्रधानमंत्री के रूप में. RSS के कार्यकर्ता के रूप में प्रधानमंत्री का मुस्लिम विरोध उनके एजेंडे का हिस्सा है.
लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में ऐसा कहना कुर्सी पर काबिज रहने का लालच दिखलाता है. उनके भाषणों से ऐसा दिखने लगा है कि उनका आत्मविश्वास हिल गया है.
शायद यही वजह है कि वह इस चुनाव को पूरी तरह से साम्प्रदायिक बनाने में लग गए हैं. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि देश की जनता हिंदू-मुस्लिम जैसे एजेंडे से उब गई है.
देश की प्राकृतिक सम्पदा और संसाधन तो मोदी जी चंद घरानों को दे रहे हैं और इल्जाम कांग्रेस पर लगा रहे हैं कि कांग्रेस देश की सम्पत्ति मुसलमानों को सौंप देगी, बहुत ही हल्का और सड़क छाप आरोप है.
2014 में कांग्रेस सरकार का भ्रष्टाचार, 2019 में बालाकोट और पुलवामा जैसे भावनात्मक मुद्दे गढ़कर मोदी जी ने चुनाव में भारी सफलता प्राप्त किया था.
लेकिन इस बार वे भावनात्मक मुद्दा गढ़ने में फेल हो गए हैं. इसलिए बदहवासी की हालत में गैरवाजिब और हल्के स्तर का संवाद कर रहे हैं.
वे चुनाव अभियान में लगभग अकेले नजर आ रहे हैं, उनके साथ न तो नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और न रमन सिंह नजर आ रहे हैं
यह उनके लिए एक त्रासदी जैसी स्थिति है. देश के बड़े हिस्से में प्रधानमंत्री ने अपना आकर्षण खो दिया है. 10 वर्षों में पहली बार प्रधानमंत्री को सामने से चुनौती मिल रही है.
यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि कांग्रेस ने 30 लाख सरकारी नौकरियों का कैलेंडर जारी करके मोदी के खेमें मे सर्जिकल अटैक कर दिया है.
(DISCLAIMER-यह लेखक के निजी विचार हैं AGAZ BHARAT NEWS का इससे कोई सरोकार नहीं है)