हम तो पहले ही कह रहे थे कि अब और इंतजार क्यों करना? नरेंद्र मोदी जी को अवतार घोषित कर देना चाहिए. सच तो यह है कि जब मोदी जी ने उंगली पकड़ाकर,
राम लला को अयोध्या में उनके घर पहुंचा दिया, उसके बाद भी उन्हें अवतार घोषित नहीं करना तो बाकायदा उल्टा भी पडऩे लगा था.
विरोधियों की तो छोड़ ही दो, पर खुद को रामभक्त कहने वालों ने भी पूछना शुरू कर दिया था कि मोदी जी होते कौन हैं, राम को लाने वाले.
राजा-महाराजा होने तक तो चलो मान भी लिया जाए पर मोदी जी क्या भगवान राम से भी ऊपर हो जाएंगे, जो राम को लाएंगे या राम उनके लाए ही आएंगे?
सच पूछिए तो मोदी जी ने तो तभी इशारा भी किया था. अयोध्या में मंदिर उद्घाटन के मौके पर उन्होंने तो बाकायदा एक नये युग की शुरूआत का एलान भी कर दिया था.
नया युग याने नये अवतार की वेकेंसी क्रिएट हुई कि नहीं? समझदार के लिए इशारा साफ था. पर रामभक्तों की भीड़ देखकर, मोदीभक्त खामखां में डर गए.
उस दिन अयोध्या में न जाने किस-किस का एलान हुआ, एक नरेंद्रावतार का ही एलान करने से चूक गए, पर अब और नहीं! मोदी जी के लिए, अवतार से कमतर ट्रीटमेंट और मंजूर नहीं.
खैर! सिर्फ मोदी जी के ट्रीटमेंट की ही बात होती, मोदी जी तब तो बर्दाश्त भी कर लेते. पर जब बीच चुनाव रामभक्तों ने काम निकल जाने पर अंगूठा दिखाना शुरू कर दिया
और पब्लिक ने बेरोजगारी का राग सुनाना और आटे-दाल का भाव बताना शुरू कर दिया, मोदी जी समझ गए कि अब अपना अवतारी रूप दिखाए बिना भारत माता का कल्याण नहीं होगा.
सो सब संकोच-लिहाज छोड़कर, खुद अपने मुंह से ही एलान कर दिया-पहले मुझे भी लगता था कि मैं बाइलॉजीकल हूं; मुझे भी एक मां ने ही इस धरती पर लाया है.
पर अब मुझे क्लीअर हो गया है कि मैं बाइलॉजी से ऊपर हूं-मुझे तो ईश्वर ने खास काम के लिए डेपूटेशन पर पठाया है. ईश्वर का डेपुटेशन बोले तो, अवतार…और क्या?
नरेंद्रावतार सामने आते ही सारे प्रश्नों के उत्तर खुद ब खुद मिल गए. खासतौर पर इस प्रश्न का जवाब कि जब अगले साल मोदी पचहत्तर साल के हो जाएंगे,
तो आडवानी जी वाले नियम के अनुसार मार्गदर्शक मंडल में चले जाएंगे या पीएम की कुर्सी पर हुए तो, एक्सटेंशन पा जाएंगे! एक्सटेंशन पा भी जाएंगे, तो कितना?
क्या 2029 के आगे भी? फिर 2047 की प्लानिंग कैसे? और अब तो जो एक हजार साल यानी 3024 तक की प्लानिंग हो रखी है, वह कैसे?
सिंपल है, मोदी जी अवतार हैं. अवतार का न आदि होता है न अंत. जो पैदा ही नहीं हुआ, वह जरा-मरण सब से ऊपर होगा या नहीं?
फिर 2025 हो या 2029 या 2047 या 3024, सिर्फ संख्याएं हैं. ये संख्याएं काल की गणना हैं, तो सिर्फ दुनियावी प्राणियों के लिए हैं, जो नश्वर होते हैं, जन्म-मरण के बंधनों में बंधे हुए.
मोदी जी ने तो खुद बताया है कि वह काशी के अविनाशी हैं; जो अविनाशी है, उसके लिए क्या 75 और क्या 100 और क्या 1100! राम, कृष्ण हजारों वर्षों से बने हुए हैं या नहीं?
मोदी जी भी रहती दुनिया तक रहेंगे, पीएम का पद ही कुछ और कहलाने लगे, तो बात दूसरी है. मोदी जी ने अब तो नरेंद्रावतार भी ले लिया,
भक्तो क्या तुम तीसरी बार अपने भगवान को नहीं लाओगे? वोट का चढ़ावा नहीं चढ़ाओगे, तो सेवा का पुण्य अपने खाते में कैसे जमा कराओगे!