राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए SC ने संसद को कानून बनाने का दिया निर्देश

BY-THE FIRE TEAM

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूषित राजनीति को साफ करने के लिए संसद को बड़ा प्रयास करने की जरूरत है. इस सम्बन्ध में संसद को एक कानून लाना चाहिए ताकि जिन लोगों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं वो पब्लिक लाइफ में ना आ सकें.

कोर्ट ने कोई भी आदेश देने की बजाए यह संसद पर छोड़ दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद को इस कैंसर का उपचार करना चाहिए क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए नासूर है जिसका परिणाम बड़ा घातक हो सकता है.

भारतीय लोकतंत्र में संविधान के भारी मेंडेट के बावजूद राजनीति में अपराधीकरण का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि कानून का पालन करना सबकी जवाबदेही है.

कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. पब्लिक लाइफ में आने वाले लोग साफ और स्वच्छ छवि के हों तभी स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना की जा सकती है.

ऐसे व्यक्तियों का राष्ट्र तत्परता से इंतजार कर रहा है तथा संसद से यह उम्मीद लगाए बैठा है कि वह इसके लिए कानून बनाये.

सुप्रीम कोर्ट ने एक  फैसले में कहा- 

1. हर प्रत्याशी चुनाव आयोग को एक फार्म भरकर देगा जिसमें वह लंबित आपराधिक मामले बताएगा.
2. प्रत्याशी केसों की जानकारी अपनी पार्टी को देगा.
3. पार्टियां अपने प्रत्याशियों के आपराधिक केसों की जानकारी वेबसाइट पर जारी करेगी और इसकी वाइट पब्लिसिटी करेगी.

कोर्ट ने कहा कि प्रत्याशी को आपराधिक केसों के बारे में दिया गया फार्म भरना होगा और इसे प्रत्याशी बोल्ड लैटर में भरेंगे.

प्रत्याशी लंबित केसों की जानकारी पार्टी को देगा तथा पार्टी इसे अपनी वेबसाइट पर जारी करे . प्रत्याशी ये डिक्लेरेशन देगा कि उसने सारी जानकारी दे दी है. 

कोर्ट ने कहा कि पांच साल से ज़्यादा सज़ा वाले मुकदमों में चार्ज फ्रेम होने के साथ ही जनप्रतिनिधियों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक नहीं. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा संसद कानून बनाए.

आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट इस पर बहुत सक्रिय है.उसका कहना है कि राजनीति का अपराधीकरण लोकतंत्र की गम्भीर समस्या.

सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों के रिकॉर्ड की तमाम डिटेल वेबसाइट पर डालेगी. पार्टियों को चुनाव से पहले नामांकन के बाद तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उम्मीदवारों के सभी रिकॉर्ड की तफसील प्रकाशित प्रसारित करानी होगी.

कोर्ट ने कहा कि ये संसद का कर्तव्य है कि वो मनी एंड मसल पावर को राजनीति से दूर रखे. चूँकि संसद पुरे देश के लिए कानून बनाती है तथा देश की अखंडता को सुनिश्चित करने की अंतिम जिम्मेदारी उसी पर है.

अतः उसे आगे आकर इस पर कठोर निर्णय लेना चाहिए .

 

 

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