Gorakhpur: 18वीं लोकसभा 2024 के कार्यकाल के प्रारंभ के साथ ही जिस तरह की बहस शुरू हुई है, उससे देश में विद्वत लोगों के बीच खलबली मच गई है.
इसी क्रम में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी, पर्यावरणविद् तथा पूर्वांचल गांधी कहे जाने वाले डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूछा है कि
“गांधी, भगत सिंह, अंबेडकर के इस महान मुल्क के साथ आप क्या कर रहे हैं?’ लोकतंत्र, संविधान, जीवित रहने दीजिए? देवी, देवता, भगवान, ईश्वर व्यक्ति का निजी विषय है.”
इन्होंने बताया कि संसद भूख, शिक्षा, चिकित्सा, बेरोजगारी, गरीबी, विषमता, लोकतंत्र, संविधान, महंगाई, अपराध, हिंसा, लोकतंत्र, संविधान पर बहस के लिए कानून बनाने के उद्देश से बनी है.
प्रधानमंत्री जी देवी, देवता, ईश्वर, अंधविश्वास पर बहस कर पूरे संसद को गुमराह कर रहे हैं. 543 सांसदों के अपने-अपने देवता हैं उन देवताओं पर बहस के लिए संसद नहीं बना है.
आप संसद में यह बताइए कि आटा, चावल, दाल, तेल, चीनी, दवा पर जीएसटी कब समाप्त करेंगे.? निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स कब समाप्त करेंगे.?
शिक्षा, चिकित्सा, रेल, संचार एक समान एवं निशुल्क कब करेंगे.? डीजल, पेट्रोल, सीएनजी ₹50/ली एवं घरेलू गैस सिलेंडर ₹300 प्रति कब करेंगे? इस पर बहस कब करेंगे?
‘प्रधानमंत्री जी’ इस पर बहस कीजिये कि 5 किलो अनाज में जीवन की तलाश करने वाले 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषित जिनके पास एक कौड़ी नहीं है, वे जीवन की ज़रूरतें कैसे खरीदेंगे?
आज उनके बच्चे पानी में बनी तरकारी खा रहे हैं, दाल के अभाव में नमक पानी रोटी खा रहे हैं और आप संसद में देवता ईश्वर भगवान के ‘मान,’ ‘सम्मान’ की बात कर रहे हैं.
बताते चलें कि पूर्वांचल गांधी ने पत्र की यह प्रतिलिपि मा. राष्ट्रपति, सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय, मा. मानवाधिकार आयोग को भी भेजा है.