साधू के परिजनों ने पुलिसिया मुठभेड़ में मारे गए लोगों को बताया बेगुनाह:रिहाई मंच

BYRAJEEV YADAV

पुलिसिया दावों को बताया हवा हवाई, कहा बाबा का एक बैग-मोबाइल तो ढूंढ़ नहीं सके

रिहाई मंच ने एएमयू छात्र नेताओं के साथ अलीगढ़ में मुठभेड़ के नाम पर मारे गए लोगों के परिजनों से की मुलाकात।

राजनीतिक दबाव में एसएसपी अजय साहनी ने उछाला लाइव मुठभेड़ का षिगूफा जिससे कि घटना पर न उठे सवाल।

मृतकों के घर पर पुलिस की अवैध तैनाती पर उठाया सवाल, डीजीपी को भेजा पत्र।

रिहाई मंच और एएमयू छात्र नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने अलीगढ़ के अतरौली में मुठभेड़ के नाम पर हत्या किए गए मुस्तकीम और नौशाद के परिजनों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने सफेदापुर में हत्या किए गए साधू और इस मामले में गिरफ्तार किये गए डॉ यासीन और इरफान के परिजनों से भी मुलाकात की।

मंच ने कहा कि साधू रूप सिंह के भाई गिरिराज सिंह ने न सिर्फ हत्या पर सवाल उठाए बल्कि उनके भाई की हत्या के नाम पर हुई पुलिसिया मुठभेड़ पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पुलिस हत्या का जो समय बता रही है उस समय उनके बड़े भाई बाबा जी से मिलकर आये थे।

वहीँ मुठभेड़ में मारने के पुलिसिया दावे पर उन्होंने कहा कि आज तक पुलिस ने मोबाइल और बैग की बरामदगी नहीं की है और वे लोग क्यों मारेंगे वो बेगुनाह हैं।

उन्होंने कहा कि गांव के लोगों की संलिप्तता के बगैर यह घटना नहीं हो सकती। वे बताते हैं कि इसके पहले भी कई बार मंदिर में चोरी हो चुकी है। एक बार 35 हजार रुपए खाना बनाने का बर्तन, एक बार 60 हजार रुपए, मंदिर का एम्प्लीफायर और अबकी बार 90 हजार रुपए के करीब।

सुबह जब बड़े भाई दूध लेकर पहुंचे तो देखा कि बाबा की हत्या हो गई थी। हालत को देखते हुए उन्हें लगता है कि चोर मंदिर में घुसे और बाबा जाग गए। पहचान लिए जाने के डर से चोरों ने उनकी हत्या कर दी और ट्यूबल पर पहुंचे होंगे। उसी दौरान जंगली सूअर को भगाने के लिए दवा डालने गए दंपत्ति की टार्च उन पर पड़ गई।

इस बार भी उन्होंने पहचान लिए जाने के डर से दंपत्ति की हत्या कर दी होगी। इससे लगता है कि वे गांव के ही रहे होंगे। जब वे मामले को लेकर पुलिस के पास गए तो पुलिस ने उन्हें एक वीडियो दिखाया जिसमें एक व्यक्ति कह रहा है कि उसने बाबा को मारा और अंतिम गाड़ी पकड़कर चला गया। अंतिम गाड़ी 8 बजे की है। ऐसे में यह कैसे हो सकता है जब कि मेरे बड़े भाई 8 बजे बाबा से मिलकर आए थे।

प्रतिनिधिमंडल ने अतरौली के नई बस्ती भैंसपाड़ा में मुस्तकीम और नौशाद के परिजनो से मुलाकात की। मुस्तकीम की माँ शबाना ने बताया कि उनके बच्चे निर्दोष थे। 16 सितंबर को ही पुलिस उन्हें उठाकर ले गई थी। पुलिस जब मारते-पीटते ले जा रही थी तो दोनों कह रहे थे कि हमारा क्या गुनाह है।

मुस्तकीम ने भागने की कोशिश की तो उसे और बेरहमी से पुलिस वालों ने पीटा। उस रात और उसके बाद मंगलवार को पुलिस आई और उनके फरार होने की बात कही। इस पर उन्होंने कहा कि जब पुलिस उसे ले गई थी तो वो फरार कैसे हो गए। मुस्तकीम के भाई सलमान को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

उन्होंने बताया कि उसी दिन से उनके पति इरफान का भी कोई अता-पता नहीं है। नौशाद की माँ शाहीन ने बताया कि बच्चों को मारने के बाद पुलिस वाले उनके साथ रफीकन और शबाना को थाने ले गए थे। बड़े अफसरों की मौजूदगी में उनसे सादे और लिखे कागजों पर अंगूठा लगवाया और देर रात छोड़ दिया गया।

उनके बच्चे और बहू घर में अकेले थे और पुलिस वहां कमरे तक में घुसी हुई थी और किसी को आने-जाने नहीं दिया जा रहा था। घर पर केवल महिला और बच्चों के होने के बावजूद महिला पुलिस नहीं थी। 24 घंटे पुरुष पुलिसवाले उनके घर पर मौजूद रहते हैं।

उन्होंने बार-बार इस बात को कहा कि उन्हें पुलिस पूछताछ के नाम पर लगातार परेशान कर रही है और उन्हें घर के बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। पुलिस लगातार भय का माहौल बनाए हुए हैं। वहीं पहले से ही गरीबी की मार झेल रहे परिवार पर पुलिसिया दहशत का साया है।

उन्हें भूखे पेट रहना पड़ रहा है। उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं और मुस्तकीम की मां, दादी और मुस्तकीम की पत्नी है। उन्हें अंदेषा है कि जिस तरह से मानसिक रुप से विक्षिप्त नफीस को पुलिस ने हिरासत में रखा है कहीं नौशाद के पिता इरफान को भी पुलिस हिरासत में न रखा गया हो।

ऐसे में उनका परिवार मोहल्ले वालों की मदद पर ही निर्भर है। मृतकों के परिवार ने इस मामले में इंसाफ की गुहार लगाई है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

प्रतिनिधि मंडल ने डाक्टर यासीन और इरफान के परिवार से भी मुलाकात की। डॉ यासीन और इरफान को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। डॉक्टर यासीन के परिवार में उनकी पत्नी हिना नाज की तबीयत बेहद खराब है वहीं इरफान की पत्नी का भी बुरा हाल है।

प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच के अवधेश यादव, रविश आलम, शाहरुख अहमद और एएमयू छात्र नेता इमरान खान, अहमद मुस्तफा, आमिर, शरजील उस्मानी, अयान रंगरेज, राजा, आरिश अराफात और मोहम्मद नासिफ, राजीव यादव आदि शामिल थे।

द्वारा जारी प्रतिनिधिमंडल सदस्य
राजीव यादव
9452800752
_________________________

प्रति,
पुलिस महानिदेषक
उत्तर प्रदेष, लखनऊ

महोदय,
नई बस्ती भैसपाड़ा, अतरौली अलीगढ़ में स्थित मकान जहां के मुस्तकीम और नौषाद को मुठभेड़ में मारने का दावा पुलिस ने किया उनके घर जाना हुआ, जहां उनके परिजन रहते हैं। वहां पहुंचने पर कुछ वर्दी में तो कुछ सादी वर्दी में पुलिस कर्मी मिले जिनसे बातचीत होने के बाद रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल ने उनके परिजनों से घटना के बारे में जानकारी ली।

परिजनों ने मुस्तकीम और नौषाद को रविवार 16 सितंबर 2018 को उठाए जाने की बात बताते हुए कहा कि उस रात और उसके बाद मंगलवार को पुलिस आई और उनके फरार होने की बात कही जिस पर उन्होंने कहा कि जब पुलिस उसे ले गई थी तो वो फरार कैसे हो गए। परिजनों से मुलाकात के दौरान लगातार वर्दी और सादी वर्दी में पुलिसकर्मी न सिर्फ वहां उपस्थित रहे बल्कि बातचीत के विषय में पूछताछ की।

उनको बताया गया कि घटना और मुकदमें के बारे में बातचीत की गई। वहां तैनात पुलिसकर्मियों से उनकी उपस्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि साहब के आदेष पर हैं। परिजनों ने बताया कि उनके बच्चों के मारे जाने के बाद से ही वहां पुलिस है।

पुलिस के मुठभेड़ के दावे के बाद परिजन मीडिया के सामने आए और उन्होंने उनको पहले से पुलिस द्वारा उठाकर ले जाने और मुठभेड़ के नाम पर मारने का आरोप लगाते हुए इंसाफ की मांग की। जिसके बाद लगातार इस मुठभेड़ में घटना स्थल पर मौजूद रहे एसएसपी अजय साहनी ने भी मुठभेड़ को सही और मारे गए लोगों के कथित आपराधिक रिकार्ड जिसमें कुछ उन्हें मुठभेड़ के बाद मिले को भी मीडिया के सामने प्रस्तुत किया।

मुस्तकीम और नौषाद के परिजन जहां रहते हैं वहां पुलिस की तैनाती कई सवाल उठाती है कि क्या उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें तैनात किया गया है। अगर ऐसा है तो घर में सिर्फ महिलाएं हैं पर वहां कोई भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी।

वहीं घटना के बाद घर की महिलाओं को जब थाने में सुबह से देर रात तक रखा गया था जिसपर सवाल उठाने पर अलीगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता मारिया आलम की गाड़ी पुलिस ने सीज कर दी तो उन्होंने इस बात की भी षिकायत की कि जब पुलिस घर की बुजुर्ग महिलाओं को थाने में बैठाई थी तो उस दरम्यान एक कमरे के घर में जिसमें उनकी बहू-बेटियां-बच्चे थे उसी में पुरुष पुलिसकर्मी भी घुसे थे।

बाहरी दुनिया से उनका रिष्ता काट दिया गया है। इसके चलते गरीब पृष्ठभूमि के इस परिवार को रोटी के लाले पड़ गए हैं। स्थानीय मीडिया में भी खबरें आईं कि बच्चों को भूखे पेट तक सोना पड़ा। परिजनों ने बताया कि नफीस जो मानसिक रुप से विक्षिप्त है को पुलिस ने थाने में बैठाए रखा है वहीं मुस्तकीम के पिता इरफान का भी उस दिन से कोई अता-पता नहीं है। परिजनों को भय है कि कहीं उन्हें भी पुलिस हिरासत में न रखा हो और किसी फर्जी मुकदमें में फंसा दें।

आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त विवरण के आधार पर आप संज्ञान लें और मानवाधिकारों के हो रहे उल्लंघन को रोकें।

दिनांक- 27 सितंबर 2018 द्वारा-
राजीव यादव
महासचिव, रिहाई मंच
9452800752

प्रतिलिपि सेवा में-
1- माननीय मुख्य न्यायाधीष महोदय सर्वोच्च न्यायालय भारत नई दिल्ली
2- माननीय मुख्य न्यायाधीष उच्च न्यायालय, इलाहबाद
3- प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेष, शासन लखनऊ
4- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली
5- राज्य मानवाधिकार आयोग, लखनऊ

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