BY–THE FIRE TEAM
उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर, केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया गया है।
राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन ने एक याचिका दायर कर कहा है कि सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाला 28 सितंबर का फैसला यदि ‘‘विकृत नहीं भी है तो वह तर्कहीन और समर्थन से परे है।’’
गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में, सबरीमला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी।
पीठ ने मंदिर में प्रवेश पर लगे पुराने प्रतिबंध को लैंगिक भेदभाव और हिन्दू महिलाओं के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था।