चार माएं देश की राजधानी दिल्ली में पार्लियामेंट स्ट्रीट पर पैदल मार्च कर रहीं हैं अपने सवाल लिए , पर लगता है हूकूमत सो गई है

BYTHE FIRE TEAM 

चार माएं चार प्रांतों से आकर देश की राजधानी दिल्ली में मंडी हॉउस से पार्लियामेंट स्ट्रीट तक पैदल मार्च कर रहीं हैं और उनके सारे सवाल तीन शब्दों के आस-पास घूम रहें हैं, ” … कहां … क्यों … क्यों …” यह तीनों शब्द उनके मां होने के सवाल बन गए हैं.

फ़ातिमा नफ़ीस का बेटा नजीब अहमद पिछले दो सालों से लापता है और देश की सब से बड़ी जाँच एजेंसी सीबीआई ने इस मामले को बंद करने का फ़ैसला किया है.

बाइस साल की आशियाना ठेवा माँ बनने वाली हैं और उनके होने वाले बच्चे का बाप (माजिद ठेवा) 19 जुलाई से लापता है.

सायरा बानो के बेटे जुनैद ख़ान की 22 जून 2017 को ग़ाज़ियाबाद से मथुरा जा रही रेलगाड़ी में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी.

राधिका वेमुला के बेटे रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में ख़ुदकुशी कर ली थी.

दिल्ली, नजीब की मां

यह चारों माएं एक साथ अपने-अपने प्रांत (राधिका वेमुला आंध्र प्रदेश से, फ़ातिमा नफ़ीस उत्तर प्रदेश से, सायरा बानो हरियाणा से और आशियाना ठेवा गुजरात से) दिल्ली आई हैं और मार्च की पहली कतार में एकसाथ चल रहीं हैं.

उनके आगे-आगे उलटे क़दम मीडिया कर्मियों का लश्कर चल रहा है. कुछ (शायद) पत्रकारों के दोनों हाथों में मोबाइल फ़ोन हैं जिन पर शायद फ़ेसबुक लाइव चल रहे थे.

एक मीडिया कर्मी के हाथों में तीन फ़ोन हैं, एक हाथ में ट्राईपॉड पर दो फ़ोन और दूसरे हाथ में एक फ़ोन है. वह तीनों फोनों पर एक साथ लोगों के इंटरव्यू कर रहें हैं. इस माहौल में लोग नारे लगा रहे हैं: ‘हम क्या चाहते हैं? नजीब!, हम सब! नाजीब!’ यह नाम लगातार हवा में गूंज रहा है.

दिल्ली में प्रदर्शन

इस दौरान इन चारों महिलाओं की नज़रें बिलकुल खाली-खाली घूम रहीं हैं. जब मार्च पार्लियामेंट में एक रैली में तब्दील हो जाता है तो सबसे पहले जुनैद ख़ान की माँ सायरा बानो को बुलाया जाता है.

काले रंग के लिबास वाली सायरा बानो ने बुरका सिर से पीछे रखा हुआ है. उनका हाव-भाव बताता है कि वह आम ज़िंदगी में बुरका पहनती होंगी. ठेठ हरियाणवी लहज़े में वह बोलना शुरू करती हैं और सारी तक़रीर में सिर्फ़ केंद्र सरकार की नाक़ामयाबियों और नाइंसाफ़ी की बात करती हैं और नजीब का बार-बार नाम लेती हैं पर जुनैद ख़ान का जिक्र तक नहीं करती.

दिल्ली में प्रदर्शन

नजीब की अम्मी फ़ातिमा नफ़ीस की आँखें सायरा बानो पर टिक जाती हैं.

सायरा बानो कहती हैं, “कोई नजीब से अनजान ना है, आज की सरकार ऐसी है जो समुद्र रोक ले या यमुना के रेत को छाने, तो एक सुई तक को यह हाज़िर कर देगी. लेकिन दो साल हो गए हैं अभी तक नजीब को हाज़िर नहीं किया है. हम बिलकुल खामोश नहीं बैठेंगे. जब तक नजीब को हाज़िर नहीं करेंगे तब तक हम ऐसे ही सड़क पर चक्र लगावेगी.”

सायरा बानो नजीब को अपना बेटा कहती हैं और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र नेता उमर ख़ालिद को भी अपना कहती हैं पर जुनैद ख़ान का नाम उनकी जुबान पर नहीं आता.

दिल्ली में प्रदर्शन

आशियाना ठेवा को मंच पर बोलने के लिए बुलाया जाता है तो वह बताती हैं कि वह पहली बार दिल्ली आई हैं.

वह कहती हैं, “जब में भुज में थी तो मुझे लग रहा था कि मैं पहली ऐसी औरत हूँ जो अपने पति के लिए इतना लड़ रही हूँ. जब मैंने नजीब का मामला सुना तो मुझे लगा कि मेरी तरह और भी माएं हैं… जब एक बेटा माँ से अलग कर दिया जाता है या किसी का पति उससे अलग किया जाता है तो उसके दिल पर क्या बीतती है? यह उनके दिल से पूछो. जब वह रात को खाना खाते हैं तो क्या उनको अपना बेटा याद नहीं आता?”

राधिका वेमुला और फ़ातिमा नफ़ीस सुन्न होकर आशिआना ठेवा को देख रहीं है. फ़ातिमा नफ़ीस की आंखें ऐसे छलकती हैं कि थोड़ी देर पहले ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने वाले नौजवान लड़के-लड़कियां भी रो पड़ते हैं.

दिल्ली में प्रदर्शन

आशिआना ठेवा ने दिल्ली के मंडी हॉउस से पार्लियामेंट स्ट्रीट तक का पैदल मार्च पहली बार किया है पर फ़ातिमा नफ़ीस ने इस जगह को पिछले दो सालों से बार-बार अपने क़दमों से नापा है.

उनका बेटा नजीब 16 अक्टूबर 2016 से लापता है और सीबीआई ने क्लोज़र रिपोर्ट अदालत में फ़ाइल कर दी है. सीबीआई के मुताबिक इस मामले में हर पहलू की जाँच अँधेरी गली में गुम हो जाती है इसलिए इसे बंद कर दिया जाना चाहिए.

दिल्ली में प्रदर्शन

राधिका वेमुला को हिंदी नहीं आती पर यह सीमा उनके दिल्ली में आ जाने में बाधा नहीं बनी और वह फ़ातिमा नफ़ीस की तलाश में शामिल हो गई हैं.

आशिआना ठेवा ना सिर्फ़ पहली बार दिल्ली आ गई हैं पर फ़ातिमा नफ़ीस के दुःख को भी अपना चुकी हैं. जब जुनैद ख़ान का क़त्ल हुआ था तो उनकी माँ, सायरा बानो का मातम मीडिया में आया था.

इस बार ईद के दिन उनकी यह बात फिर सामने आई कि ‘वह ईद नहीं मना सकती.’ इस साल उनका चेहरा बुरके से बाहर आ गया है और जुनैद ख़ान का मातम नजीब अहमद और माजिद ठेवा की तलाश में बदल गया है.

सीबीआई है कि उसके लिए हर रास्ता अँधेरी गली की तरफ जा रहा है पर यह माएं हैं कि अँधेरी गली में एक-दूसरे का हाथ थामे हैं और पूछ रहीं हैं, ” … कहां … क्यों … क्यों …”

 

(साभार – बीबीसी हिंदी )

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