BY–RAVISH KUMAR
मेरठ से आए एक वीडियो को देख रहा हूँ। बीजेपी पार्षद दारोग़ा की गर्दन दबोच देते हैं। फिर लगातार पाँच बार ज़ोर ज़ोर से मारे जा रहे हैं। माँ बहन की गालियाँ दे रहे हैं। उनका साथी दारोग़ा का कॉलर पकड़ कर पटक देता है।
इस सीन में दारोग़ा और पार्षद के बीच क्या संबंध है, यह उतना साफ़ नहीं जितना यह दिख रहा है कि एक पार्षद की हिम्मत इतनी बढ़ जाती है कि वह दारोगा को दायें बायें हर तरफ़ से मारता है।बताया जा रहा है दारोगा जी शराब के नशे में हंगामा कर रहे थे। फिर भी इसके लिए क़ानून तो है।
दारोगा इतना लाचार क्यों दिख रहा है? पार्षद दारोगा का दादा क्यों लग रहा है? यह वीडियो यूपी पुलिस के समाप्त हो जाने का प्रमाण है। इसके अफ़सरों में न ज़मीर बची है और न शायद ईमान। एक संस्था के रूप में पुलिस समाप्त हो चुकी है। उसका एक ही काम है। नेताओं के काम आना और नेताओं से लात खाना। इस पुलिस में जो अच्छे लोग हैं वो बस अपनी इज़्ज़त बचा कर नौकरी काट रहे हैं।
कुछ समय पहले भाजपा के नेताजी के समर्थकों की भीड़ एक एस एस पी के घर में घुस गई थी। बीबी बच्चे अकेले थे। कुछ भी हो सकता था। चौबीस घंटे से ज़्यादा वक़्त लग गए पुलिस संघ को निंदा करने में। उस मामले में बहुत देर बाद मामला दर्ज हुआ लेकिन बिना पता किए कोई भी दावे से कह सकता है कि उस केस में कुछ नहीं हुआ होगा।
#WATCH: BJP Councillor Manish thrashes a Sub-Inspector who came to his (Manish's) hotel with a lady lawyer and got into an argument with a waiter. The councillor has been arrested. (19.10.18) (Note- Strong Language) pic.twitter.com/aouSxyztSa
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 20, 2018
योगी सरकार के आते ही पुलिस को मारने की कई घटनाएँ मीडिया में आई थीं। यह भी देखा गया कि उन्नाव बलात्कार मामले में पुलिस मिली रही। विवेक तिवारी की हत्या के मामले में तो सिपाही लोग काली पट्टी बाँध कर आ गए थे। अब क्या दारोगा लोग ऐसा करेंगे?
जब पुलिस का इक़बाल समाप्त हो जाए। वो अपनी ही नज़र में गिर जाए तो पुलिस को ख़ुद को ही भंग कर देना चाहिए। या तो पुलिस नैतिक बने, ईमानदार बने, सूखी रोटी खाए और अपने सम्मान की वापसी करे या फिर ख़ुद को भंग कर ले।
दारोगा का पीटते चले जाना साबित करता है कि पुलिस भाजपा से डर गई है। वह भाजपा नेताओं से लात जूता खा लेगी मगर समाजवादी पार्टी को बदनाम कर अपनी लाज बचा लेती। शर्मनाक है। पुलिस भाजपा नेताओं का कुछ नहीं कर सकती है। एक फ़ोन में सबकी हालत ख़राब हो जाएगी। इसलिए पुलिस के सारे अधिकारी इस्तीफ़ा देकर भाजपा से पार्षद बन जाएँ। कम से कम शहर और समाज में इज़्ज़त तो रहेगी। कोई हाथ तो नहीं उठाएगा।
पार्षद ने सिर्फ दारोगा को नहीं मारा। यह वीडियो जब दारोगा के साथी और परिवार वाले देखेंगे तो क्या सोच रहे होंगे। उनके परिवार वालों को कितनी हताशा हुई होगी। शर्मनाक है। पार्षद आगे चल कर सांसद बनेगा। वह आज की राजनीति के हिसाब से सही रास्ते पर है। भीड़ के आगे पुलिस बेबस है।
पुलिस किन नेताओं को बचाती रही है उसे पता है। अब पुलिस पता कर ले कि उसे बचाने कौन नेता आ रहा है। मुझे भी सौ शिकायतें रहती हैं पुलिस से मगर दारोगा का इस तरह माँ बहन की गालियों से लप्पड़-थप्पड़ खाते चला जाना शर्मसार भी किया और हताश भी.
यह लेख मूलतः रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है।