BY–सुशील भीमटा
एक आग्रह हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय से अवैध कब्जों को लेकर चली कार्रवाई के मुख्य हिस्से को जमीनी स्तर पर लागू करने से संबंधित करना चाहता हूँ।
भू-राजस्व रिकॉर्ड 2014 से आज तक चेक किया जाना ही गरीब लोगों से इंसाफ करवा सकता है ऐसा मेरी आत्मा कह रही है।
ऐसा इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि जब तक भू-राजस्व रिकार्ड से यह पुष्टि नहीं हो पाएगी कि जब इन अवैध कब्जों की मुहिम माननीय न्यायलय द्वारा अपनी देख-रेख में करवाई गई है तो क्या उसके बाद भू-राजस्व रिकार्ड में कोई छेड़छाड़ की कोशिश नहीं की गई होगी ?
ऐसा करने से सच जनता के सामनें आयेगा। शायद इस 2014 से 2018 के समय के अंतराल में कहीं ना कहीं भूमि का एक एक दो दो बीघा बड़े कब्जाधारियों द्वारा अपने परिवार के किसी ना किसी सदस्य के नाम करके पांच बीघा का फायदा उठाया गया है। ऐसी आशंका कहीं ना कहीं नजर आती है।
जैसा कि सरकार द्वारा नीति बनाई गई कि पांच बीघा तक अवैध कब्जाधारी को छोड़ा नहीं जाये उसकी आड़ में कुछ ना कुछ गेम खेली गई नजर आती है।
इसके लिए भू-राजस्व रिकार्ड का चेक होना साथ-ही-साथ भूराजस्व ,वन, पुलिस के अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति की तहक़ीक़ात होना भी जरूरी है! आज अवैध कब्जे तो हटने तय है ये सब जानतें है।
इंसाफ से कटे यही माननीय न्यायलय से विनम्र निवेदन है कि सम्बंधित विभागों की जांच भी उतनी ही लाजमी है जितनीं अवैध कब्जाधारियों की।
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं तथा हिमांचल प्रदेश में रहते हैं।