BY-THE FIRE TEAM
सीबीआई में घमासान मचा हुआ है. बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां भी सुभान अल्लाह निकले…सीबीआई जिसकी साख इतनी रही है कि गांव घर में यदि कोई बड़ी घटना हो जाए तो लोग सीबीआई से जांच कराने की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आते हैं क्योंकि उन्हें स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं होता.
उनको पता होता है कि स्थानीय पुलिस तो भ्रष्ट है और बिना पैसे खाए कोई काम नहीं करती. अब इसी सीबीआई पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और वो भी किसी छोटे-मोटे अफसर पर नहीं बल्कि सीबीआई के डायरेक्टर और उनके नंबर दो पर लगे हैं..
और आरोप लगाने वाला भी कोई और नहीं वही नंबर एक और नंबर दो हैं. होड़ इस बात में लगी हुई है कि कौन सबसे बड़ा चोर है और किसने सबसे ज्यादा रिश्वत ली है.
फिर सरकार ने रात में एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक की और एक तरह से सफाई करनी शुरू की. एक नया डायरेक्टर नियुक्त किया गया, जो हैं नागेश्वर राव. हालांकि इन पर भी आरोप लगे हुए हैं.
राव सीबीआई में ज्वांइट डायरेक्टर थे. यानी वे भी वरीयता में चौथे नंबर के अधिकारी हैं. सीबीआई में चार ज्वांइट डायरेक्टर होते हैं. अब आपको देखना होगा कि आखिर राकेश अस्थाना है कौन ?
यह शख्स गुजरात कैडर के अधिकारी हैं और मौजूदा सरकार के काफी करीब हैं. ये वही हैं जो गोधरा पर बनाई गई एसआईटी के मुखिया रहे हैं. अस्थाना की तारीफ में इससे अधिक बताने की जरूरत नहीं है.
यानी उनके पास कई ऐसे राज होंगे जिनके सार्वजनिक होने से आज के कई नामों की मिट्टी पलीत हो सकती है. यही वजह है कि अस्थाना को इतनी हिम्मत आ गई कि उन्होंने अपने चीफ पर ही आरोप लगा दिया.
इसके साथ ही सीबीआई के अंदर की गंदगी खुले में आ गई. अभी तक यह बात दबी जुबान में की जाती थी. हालांकि पिछले कई सालों से सीबीआई में निदेशक के पद पर भ्रष्टाचार के लगातार आरोप लग रहे हैं.
चाहे वो रंजीत सिन्हा हों या एपी सिंह या फिर आलोक वर्मा, सभी किसी न किसी आरोप से घिरे रहे. मामला मुख्य सतर्कता आयोग, यानी सीवीसी तक पहुंचा. जो चिट्ठी सीवीसी को भेजी गई है उसमें सीबीआई के निदेशक के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं.
दो करोड़ की घूस की शिकायत उनके खिलाफ की गई है. उन पर आरोप है कि रेलवे के आईआरसीटीसी केस में मुख्य संदिग्ध राकेश सक्सेना को अलग रखने को कहा. लालू यादव के घर की तलाशी नहीं लेने दी.
सीबीआई ने सीवीसी को बताया कि शिकायत करने वाले अस्थाना भी भ्रष्ट हैं. सीवीसी को सीबीआई ने दस्तावेज नहीं दिए. आखिरकार सीबीआई निदेशक के सारे अधिकार वापस लिए गए.
अब देखते हैं कि राकेश अस्थाना किन-किन मामलों की जांच कर रहे थे. इसमें अगुस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर, विजय माल्या, कोयला घोटाला, राबर्ट वाड्रा, भूपिंदर सिंह हुडा को जमीन खरीद के मामले और दयानिधि मारन मामला.
आप इन मामलों को देखकर समझ सकते हैं कि अस्थाना जैसे अफसर का लुटियंस दिल्ली में किस तरह का कनेक्शन होगा कि हर बड़ा केस उसी की झोली में जाता था. यानी सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का… वाली बात थी.
उधर सीबीआई निदेशक से सरकार इसलिए भी नाराज थी कि आलोक वर्मा राफेल मामले पर की गई शिकायत के दौरान शिकायतकर्ताओं को मिलने के लिए अपने दफ्तर में बुलाया था और 45 मिनट तक बातचीत की थी. गौरतलब है कि प्रशांत भूषण सहित कई लोग यह शिकायत लेकर सीबीआई गए थे.
सरकार ने सीबीआई के मामले में कार्रवाई भी रात के अंधेरे में की. पौने एक बजे दिल्ली पुलिस ने सीबीआई मुख्यालय को घेर लिया. एक बजे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल ने बड़े अफसरों को तलब किया.
पौने दो बजे नए सीबीआई निदेशक नागेश्वर राव सीबीआई दफ्तर पहुंच गए. अस्थाना की जांच करने वाले अफसर का तबादला पोर्ट ब्लेयर कर दिया गया.
यही नहीं कुल 11 अफसरों का तबादला कर दिया गया. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया गया.सीबीआई प्रमुख वर्मा सुप्रीम कोर्ट चले गए.
मामले की सुनवाई शुक्रवार को है. अब चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है और सबकी नजरें उधर भी हैं मगर अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकार की है कि वह लोगों का भरोसा सीबीआई में किस तरह बहाल करती है.
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