BY-THE FIRE TEAM
अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने इस पैराशूट का सफलतापूर्वक परीक्षण करके विश्व रिकॉर्ड बना दिया है. आपको बताते चलें कि यह ‘सुपरसोनिक पैराशूट अपने प्रक्षेपण के बाद सेकंड के चालीसवें हिस्से में एक्टिव हो गया .
We broke a world record! When testing our rocket-launched parachute for landing the #Mars2020 rover on the Red Planet, it deployed in four-tenths of a second — the fastest inflation of a parachute this size. See for yourself: https://t.co/YKyUOUBh81 pic.twitter.com/k902g9WkX3
— NASA (@NASA) October 29, 2018
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि 17.7 मीटर लंबे ब्लैक ब्रेंट IX साउंडिंग रॉकेट के लॉन्च होने के महज दो मिनट से भी कम समय में उसका एक पेलोड अलग हो गया और पृथ्वी के वायुमंडल से होते हुए वापस आ गया.
बयान में कहा गया कि जब विमान में रखे सेंसर ने निर्धारित किया कि पेलोड उपयुक्त ऊंचाई (38 किलोमीटर ऊंचाई) और मैक नंबर 1.8 तक पहुंच गया है, तो पेलोड ने पैराशूट तान दिया. एक सेकंड के चार बटे दसवें हिस्से के भीतर यह पैराशूट पूरी तरह से फैल गया.
Meet Chuck Campbell, a Project Manager at @NASA_Johnson who works on technologies to land payloads safely on the surface of Mars. To learn more about Chuck’s "never-been-done-before" work and Supersonic Retro Propulsion, visit: https://t.co/YOjkGOQsmz pic.twitter.com/VG3tjkue48
— NASA Technology (@NASA_Technology) October 30, 2018
नासा के मुताबिक यह सुपरसोनिक पैराशूट उसकी अत्यंत महत्त्वाकांक्षी योजना 2020 मंगल मिशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह रोवर को मंगल ग्रह के सतह पर उतारने (लैंडिंग) का काम करेगा तथा इस ग्रह पर प्राचीन जीवन के संकेत ढूंढेगा.
मंगलयान भारत के संदर्भ :
मंगलयान, (मंगल कक्षित्र मिशन Mars Orbiter Mission;), भारत का प्रथम मंगलअभियान है. यह भारत की प्रथम ग्रहों के बीच का मिशन है. वस्तुत: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक महत्वाकांक्षी अन्तरिक्षपरियोजना है.
इस परियोजना के अन्तर्गत 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया.
इसके साथ ही भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं. वैसे अब तक मंगल को जानने के लिये शुरू किये गये दो तिहाई अभियान असफल भी रहे हैं.
परन्तु 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुँचने के साथ ही भारत विश्व में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश तथा सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है.
इसके अतिरिक्त ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी है. भारत एशिया का भी ऐसा करने वाला प्रथम पहला देश बन गया. क्योंकि इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे.
वस्तुतः यह एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजना है जिसका लक्ष्य अन्तरग्रहीय अन्तरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक डिजाइन, नियोजन, प्रबन्धन तथा क्रियान्वयन का विकास करना है.
ऑर्बिटर अपने पांच उपकरणों के साथ मंगल की परिक्रमा करता रहेगा तथा वैज्ञानिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आंकड़े व तस्वीरें पृथ्वी पर भेजेगा.
अंतरिक्ष यान पर वर्तमान में इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक),बंगलौर के अंतरिक्षयान नियंत्रण केंद्र से भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना की सहायता से नजर रखी जा रही है.
प्रतिष्ठित ‘टाइम’ पत्रिका ने मंगलयान को 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया.