BY-THE FIRE TEAM
दिल्ली की जनता का पिछले 14 साल से इंतजार कल समाप्त हो जायेगा क्योंकि सिग्नेचर ब्रिज अब बनकर तैयार हो चूका है तथा इसके उद्घाटन की भी घोषणा कर दी गई है.
दिल्ली के वजीराबाद में यमुना नदी पर बनकर तैयार हुआ यह बहु प्रतीक्षित सिग्नेचर ब्रिज कई वजहों से चर्चा में था लेकिन फिलहाल यह ब्रिज अपनी खूबसूरती के लिए चर्चा में है.
एनडीटीवी इंडिया की टीम ने 154 मीटर के मुख्य पिलर पर ऊपर जाकर नीचे का नजारा देखा और बताया कि नजारा जितना खूबसूरत था उतना डराने वाला भी था. क्योंकि 154 मीटर की ऊंचाई पर होना यानी दिल्ली में सबसे ऊंचे शिखर पर होना है.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सिग्नेचर ब्रिज की रात की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की हैं जिसमें सिग्नेचर ब्रिज पर लेजर लाइट डाली जा रही है.
मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया’सिग्नेचर ब्रिज पर लाइट शो की तैयारी. 4 नवम्बर, रविवार को शाम 4 बजे सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal ji करेंगे. इसके बाद लेज़र शो का कार्यक्रम भी होगा.आप सभी ज़रूर पहुंचें.’
सिग्नेचर ब्रिज पर लाइट शो की तैयारी।
4 नवम्बर, रविवार को शाम 4 बजे सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal ji करेंगे।
इसके बाद लेज़र शो का कार्यक्रम भी होगा।आप सभी ज़रूर पहुंचें। https://t.co/SvRAktjQ2U pic.twitter.com/I26MS9HHmK
— Manish Sisodia (@msisodia) November 2, 2018
ब्रिज की ख़ासियत:
सिग्नेचर ब्रिज का मुख्य आकर्षण उसका मुख्य पिलर है जिसकी ऊंचाई 154 मीटर है. पिलर के ऊपरी भाग में चारों तरफ शीशे लगाए गए हैं.
लिफ्ट के जरिए जब लोग यहा पर पहुंचेंगे तो उन्हें यहा से दिल्ली का टॉप व्यू देखने को मिलेगा जो दिल्ली में किसी भी इमारत की ऊंचाई से अधिक होगा या ऐसे समझें कि इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से दोगुनी से भी ज़्यादा है.
जिससे यह पर्यटकों के लिए खास बनेगा. ब्रिज पर 15 स्टे केबल्स हैं जो बूमरैंग आकार में हैं. जिन पर ब्रिज का 350 मीटर भाग बगैर किसी पिलर के रोका गया है. ब्रिज की कुल लंबाई 675 मीटर, चौड़ाई 35.2 मीटर है.
यमुना नदी पर बना यह ब्रिज उत्तर पूर्वी दिल्ली को करनाल बाई पास रोड से जोड़ेगा. इस ब्रिज के बन जाने से उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार गोकुलपुरी भजनपुरा और खजूरी की तरफ से मुखर्जी नगर, तिमारपुर, बुराड़ी और आजादपुर जाने वाले लोगों बड़ी राहत मिलेगी जो रोजाना वजीराबाद पुल के जरिए अपना सफर करते हैं और आधा से एक घंटे का समय उन्हें लग जाता है. अब वह यह सफर मिनटों में कर पाएंगे.
कितनी देरी और कितनी बढ़ी लागत ?
इस तरह के ब्रिज के बारे में 1997 में सोचना शुरू किया गया था और यह योजना 2004 में जाकर एक ठोस रूप ले सकी. उस समय इसकी लागत करीब 464 करोड़ रुपये अनुमानित थी. साल 2007 में शीला दीक्षित कैबिनेट ने इसको मंज़ूरी दी.
शुरुआत में यह लक्ष्य रखा गया कि इसको 2010 की कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन इसके निर्माण की शुरुआत ही कॉमन वेल्थ खेल 2010 के दौरान हो पाई.
साल 2011 में इसकी कीमत बढ़कर 1131 करोड़ रुपये हो गई और अब यह अंततः 1518.37 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ है.