BY-THE FIRE TEAM
आरबीआई और सरकार में बढ़ते टकराव के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक किसी सरकार के लिए ‘कार की सीट बेल्ट’ की तरह होता है, जिसके बिना नुकसान हो सकता है.
संस्थान के रूप में RBI की स्वायत्तता का सम्मान किए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए पूर्व गवर्नर राजन ने कहा कि सरकार अगर आरबीआई पर लचीला रुख अपनाने का दबाव डाल रही हो तो केंद्रीय बैंक के पास ‘ना’ कहने की आजादी है.
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आरबीआई निदेशक मंडल की 19 नवंबर को होने वाली बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि बोर्ड का लक्ष्य संस्था की रक्षा करना होना चाहिए, न कि दूसरों के हितों की सुरक्षा.
‘ राजन ने ‘सीएनबीसी टीवी18’ से बातचीत में कहा, ‘आरबीआई सीट बेल्ट की तरह है. सरकार चालक है, चालक के रूप में हो सकता है कि वह सीट बेल्ट न पहने.
पर, हां यदि आप अपनी सीट बेल्ट नहीं पहनते हैं और दुर्घटना हो जाती है तो वह दुर्घटना अधिक गंभीर हो सकती है.’ अतीत में आरबीआई और सरकार के बीच रिश्ता कुछ इसी प्रकार का रहा है.
सरकार वृद्धि तेज करने की दिशा में काम करना चाहती है और वह आरबीआई द्वारा तय सीमा के तहत जो कुछ करना चाहती है करती है.
आपको बता दें कि आरबीआई ये सीमाएं वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखकर तय करता है. उन्होंने कहा, ‘इसलिए सरकार आरबीआई पर अधिक उदार रुख अपनाने के लिए जोर देती है.’
राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रस्ताव की ठीक ढंग से पड़ताल करता है और वित्तीय स्थिरता से जुड़े खतरों का आकलन करता है. उन्होंने कहा, ‘हमारी (आरबीआई की) जिम्मेदारी वित्तीय स्थिरता को बनाये रखना है और इसलिए हमारे पास ना कहने का अधिकार है.’
बता दें कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि उर्जित पटेल की अगुवाई वाले आरबीआई और सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के एक वक्तव्य के बाद केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच मतभेद खुलकर सतह पर आ गए थे.
डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि जो सरकारें अपने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करतीं उन्हें देर सबेर ‘बाजारों के आक्रोश’ का सामना करना पड़ता है.
#CNBCTV18Exclusive | ‘Viral Acharya should be commended for warning in support of RBI's autonomy’, says Former Governor, @RBI in conversation with @latha_venkatesh pic.twitter.com/BhFZjXs5Qr
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18News) November 6, 2018
इसके बाद यह सामने आया कि सरकार ने एनपीए नियमों में ढील देकर कर्ज सुविधा बढ़ाने सहित कई मुद्दों के समाधान के लिए आरबीआई अधिनियम के उस प्रावधान का इस्तेमाल किया है, जिसका उपयोग पहले कभी नहीं किया गया था, ताकि वृद्धि दर तेज की जा सके. हालांकि केंद्रीय बैंक की सोच है कि इन मुद्दों पर नरमी नहीं बरती जा सकती है.
राजन ने कहा, ‘निश्चित तौर पर आरबीआई यूं ही ना नहीं कहता है. वह ऐसा तब कहता है, जब परिस्थितियों की जांच के बाद उसे लगता है कि प्रस्तावित कदम से बहुत अधिक वित्तीय अस्थिरता आएगी.’
पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘मेरे ख्याल से यह रिश्ता लंबे समय से चलता आ रहा है और यह पहला मौका नहीं है जब आरबीआई ने ना कहा हो.