BY-THE FIRE TEAM
केंद्र की मोदी सरकार और आर बी आई में जारी खींचतान के बीच कांग्रेस ने नोटबंदी के दो साल पूरे होनें के मौके पर केंद्र सरकार पर जोरदार निशाना साधा.
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने गुरुवार को कोलकाता में कहा कि केंद्र सरकार एक और संस्थान की स्वायत्तता से खिलावाड़ कर रही है.
If the Governor stands his ground, the government is planning to issue a Direction to the RBI under Section 7 directing the RBI to transfer Rs 1 lakh crore to the government’s account. In that event, the Governor has only two options: (1) to transfer the money or (2) to resign.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 8, 2018
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि मोदी सरकार राजकोषीय संकट से उबरने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को ‘अपनी मुठ्ठी में करने’ का प्रयास कर रही है.
चिंदबरम ने आगाह किया कि इस तरह के प्रयासों के चलते ‘भारी मुसीबत’ खड़ी हो सकती है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल में अपने चहेतों को भर दिया है.
सरकार का प्रयास है कि 19 सितंबर को होने वाली आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक में उसके प्रस्ताव को मंजूर कर लिया जाए.
पूर्व वित्तमंत्री ने संवादाताओं से कहा, ‘‘सरकार के सामने राजकोषीय घाटे का संकट खड़ हो गया है. वह इस चुनावी वर्ष में खर्च बढ़ाना चाहती है. सारे रास्ते बंद देखने के बाद हताशा में सरकार ने आरबीआई से उसके आरक्षित कोष से एक लाख करोड़ रुपये की मांग की है.”
उन्होंने दावा किया कि यदि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल अपने रुख पर कायम रहते हैं तो केंद्र सरकार की योजना आरबीआई कानून 1934 की धारा-7 के तहत दिशानिर्देश जारी करने की है.
गौरतलब है कि सरकार केंद्रीय बैंक को एक लाख करोड़ रुपये सरकार के खाते में हस्तांतरित करने का निर्देश दे सकती है.
क्योंकि आरबीआई कानून की धारा-7 सरकार को जनहित के मुद्दे पर आरबीआई को निर्देश जारी करने की विशेष शक्ति देती है.
चिदंबरम ने कहा, ‘‘इस समय आरबीआई निदेशक मंडल की 19 नवंबर की बैठक महत्वपूर्ण हो गयी है. इसमें कोई निर्णय हो सकता है.”
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आरबीआई सरकार से अलग राय रखती है या आरबीआई के गवर्नर इस्तीफा देते हैं तो भारी मुसीबत पैदा हो सकती है.’‘ उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में पटेल के पास दो ही विकल्प हैं या तो वह सरकार के खाते में राशि हस्तांतरित करें या इस्तीफा दें.
चिदंबरम ने कहा, ‘‘मेरे विचार से गवर्नर जो भी विकल्प चुनते हैं यह आरबीआई की विश्वसनीयता को कम करेगा. इसका मतलब आरबीआई को मुट्ठी में लेना भी होगा. यह एक और महत्वपूर्ण संस्थान की गरिमा को गिराने वाला कदम होगा.”
आरबीआई और सरकार के बीच कुछ महीनों से विभिन्न मसलों पर सहमति नहीं बन रही है. यह असहमति बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के एक भाषण के बाद सामने उभर आयी जिसमें उन्होंने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने की पुरजोर वकालत की थी.
बाद में सामने आया कि सरकार कभी उपयोग नहीं की गई धारा-सात का उपयोग करके आरबीआई को निर्देश दे सकती है कि वह गैर-निष्पादित आस्तियों के नियम आसान बनाए.
ताकि बैंक कर्ज देना शुरू कर सकें और साथ ही अधिक लाभांश दे सकें, जिससे बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़े और वृद्धि को समर्थन मिले.