BY-THE FIRE TEAM
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति (नेचुरोपैथी) के बढ़ते प्रयोग और उपयोगिता को देखते हुये केन्द्रीय आयुष मंत्रालय ने हर साल 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।
मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी बयान के अनुसार पहला प्राकृतिक चिकित्सा दिवस देश भर में रविवार को मनाया जायेगा। इसके लिये योग दिवस की तर्ज पर सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये गये है।
इनका मकसद लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के सुरक्षित उपयोग के प्रति जागरुक करना और इस पद्धति का विश्वव्यापी प्रसार करना है।
इसके लिये आयुष मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद को स्वास्थ्य शिविर, कार्यशाला और प्रदर्शनी आदि आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
प्राकृतिक चिकित्सा एक चिकित्सा-दर्शन है। इसके अन्तर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य-लाभ का आधार है – ‘रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक शक्ति’। प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत अनेक पद्धतियां हैं-
जैसे – जल चिकित्सा, होमियोपैथी, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मृदा चिकित्सा आदि।
प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलन में विश्व की कई चिकित्सा पद्धतियों का योगदान है; जैसे भारत का आयुर्वेद तथा यूरोप का ‘नेचर क्योर’।
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है, जिसका लक्ष्य प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्त्वों के उचित इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण समाप्त करना है।
यह न केवल एक चिकित्सा पद्धति है बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक महत्त्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्त्वों के अनुरूप एक जीवन-शैली है। यह जीवन कला तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है।
इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन, विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची व हलकी पकी सब्जियाँ विभिन्न बीमारियों के इलाज में निर्णायक भूमिका निभाती हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन व्यक्तियों एवं गरीब देशों के लिये विशेष रूप से वरदान है।
प्राकृतिक चिकित्सा के मूलभूत सिद्धान्त:
प्राकृतिक चिकित्सक निम्नलिखित छः मूलभूत सिद्धान्तों का अनुसरण करते हैं-
(१) कोई हानि नहीं करना
(२) रोग के कारण का इलाज करना (न कि लक्षण का)
(३) स्वस्थ जीवन जीने तथा रोग से बचने की शिक्षा देना (रोगी-शिक्षा का महत्व)
(४) व्यक्तिगत इलाज के द्वारा सम्पूर्ण शरीर को रोगमुक्त करना (हर व्यक्ति अलग है)
(५) चिकित्सा के बजाय रोग की रोकथाम करने पर विशेष बल देना
(६) शरीर की जीवनी शक्ति (रोगों से लड़ने की क्षमता) को मजबूत बनाना (शरीर ही रोगों को दूर करता है, दवा नहीं)
व्यवहार में प्राकृतिक चिकित्सा :
प्राकृतिक चिकित्सा न केवल उपचार की पद्धति है, अपितु यह एक जीवन पद्धति है। इसे बहुधा ‘औषधिविहीन उपचार पद्धति’ कहा जाता है।
यह मुख्य रूप से प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर आधारित है। जहाँ तक मौलिक सिद्धांतो का प्रश्न है, इस पद्धति का आयुर्वेद से निकटतम सम्बन्ध है।
प्राकृतिक चिकित्सा के समर्थक खान-पान एवं रहन-सहन की आदतों, शुद्धि कर्म, जल चिकित्सा, ठण्डी पट्टी, मिटटी की पट्टी, विविध प्रकार के स्नान, मालिश्ा तथा अनेक नई प्रकार की चिकित्सा विधाओं पर विश्ोष बल देते है।
प्राकृतिक चिकित्सक पोषण चिकित्सा, भौतिक चिकित्सा, वानस्पतिक चिकित्सा, आयुर्वेद आदि पौर्वात्य चिकित्सा, होमियोपैथी, छोटी-मोटी शल्यक्रिया, मनोचिकित्सा आदि को प्राथमिकता देते हैं।