बीबीएयू-बीएचयू को साम्प्रदायिक राजनीति का अड्डा बना रही हैं मनुवादी ताकतें: रिहाई मंच


BYराबिन वर्मा


भाजपा ने शिक्षण संस्थानों को बना दिया मनुवादी राजनीति का अड्डा

शिक्षण संस्थान शिक्षाग्रहण करने और वैज्ञानिक प्रचार प्रसार के लिए बनाये गए हैं न कि धार्मिक कर्म कांड के लिए


18 नवम्बर 2018: नाम बदलने की सियासत के खिलाफ मेरा नाम, मेरा सवाल जन अभियान हुसैनाबाद से शुरू किया गया. समाज, सम्मान, सामाजिक न्याय, संविधान के लिए चलाए जा रहे इस अभियान के तहत आम जनता से मुलाकात की जाएगी.

रिहाई मंच नेता गुंजन सिंह ने कहा कि आरएसएस छात्रों को मूलभूत सवालों से भटकाने के लिए एबीवीपी जैसे संगठनों के जरिए धर्म के नाम पर विश्वविद्यालयों की आहुति दे रहा है. यह शर्मनाक है कि बाबा साहेब के नाम पर बने विश्वविद्यालय में संविधान को जलाने वाली मनुवादी ताकतें मंदिर निर्माण की बात कर रही हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण की बात करने से पहले संघी ये बताएं की सबरीमाला में महिलाओं को क्यों नहीं जाने दिया जा रहा है. जब दलितों को मंदिर जाने के नाम पर जान से मार दिया जा रहा है तब किस आधार पर मंदिर निर्माण की बात अम्बेडकर विश्वविद्यालय में की जा रही है.

बीएचयू में विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों द्वारा “श्री राम जन्म भूमि: स्थिति एवं संभावनाएं” जैसे मुद्दे पर सेमिनार के आयोजन छात्रों के तार्किक विचारों के खात्मे के आयोजन हैं. विश्व हिन्दू परिषद खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को चैलेंज कर रहा है. सतयुग की बात करने वाले बताएं की बीजेपी के रामराज्य में पुलिस क्या बेटियों पर लाठी बरसाने के लिए बनी है.

रिहाई मंच नेता राबिन वर्मा ने कहा कि अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में शुक्रवार को केंद्रीय लाइब्रेरी में साढ़े चार बजे के आस पास हिन्दुत्वादी संगठनों द्वारा “जय श्री राम, मंदिर वही बनाएंगे-रामलला हम आएंगे, 25 नवम्बर अयोध्या चलो के नारे लगाये गए.”

पूरे कैंपस में जगह-जगह बैनर लगाये गए हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन की आपराधिक चुप्पी प्रशासन और मनुवादी ताकतों के गठजोड़ को उजागर करती है. विश्वविद्यालय में हुए भ्रष्टाचारों की जांच चल रही है.

बहुत सारे कोर्सेज की मान्यता को लेकर भी विश्वविद्यालय पर सवालिया निशान लग चुके हैं. पूरा सत्र बीतने को है और अभी तक पीएचडी में एडमिशन ही चल रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि मंदिर बनाने की राजनीति करने वाले उस वक्त कहां थे जब रोहित नाम का छात्र महीने भर टेंट में रहने को मजबूर हुए.

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