सीबीआई अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, नीरव मोदी केस की जांच रोकने के लिए हुआ ट्रांसफर


BYTHE FIRE TEAM


केंद्र की मोदी सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के बीच चल रहे विवाद के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने अपने तबादले को चुनौती दी है।

सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा ने सर्वोच्च अदालत को बताया है कि विशेष निदेशक अस्थाना और नीरव मोदी से जुड़े पीएनबी बैंक घोटाले की जांच बेपटरी करने के लिए उनका ट्रांसफर नागपुर किया गया।

सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट से उनके तबादले के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया। बता दें कि नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और उनसे जुड़े बैंकिंग घोटाले के मामले को लेकर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है।

करप्शन के कथित मामले में सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना की भूमिका की जांच कर रही टीम का हिस्सा रहे आईपीएस अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा ने मंगलवार को अविलंब सुनवाई के लिये चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख किया।

इस बेंच में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं। गौरतलब है कि यह पीठ अधिकार छीनने और अवकाश पर भेजने संबंधी सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करने वाली है।

सिन्हा ने कहा कि उनकी अर्जी पर भी वर्मा की याचिका के साथ ही सुनवाई की जाए। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनका तबादला नागपुर कर दिया गया है और इस वजह से वह अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच से बाहर हो गए हैं। सरकार ने एक आदेश जारी कर अस्थाना की भी शक्तियां छीन ली हैं और उन्हें अवकाश पर भेज दिया है।

सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि वह सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के नेतृत्व में सक्रियता से अस्थाना के कथित भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रहे थे। उधर, सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सीवीसी की रिपोर्ट पर अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वर्मा को स्पष्ट कर दिया कि इस मामले में मंगलवार को सुनवाई की तारीख को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। वर्मा को शाम 4 बजे तक जवाब दाखिल करने को कहा गया। इसके बाद सीबीआई डायरेक्टर की तरफ से जवाब दाखिल कर दिया।

बता दें कि शीर्ष अदालत ने सीबीआई निदेशक के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की प्रारंभिक रिपोर्ट पर 16 नवंबर को आलोक वर्मा को सीलबंद लिफाफे में सोमवार तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इससे पहले, 16 नवंबर को कोर्ट ने कहा था कि सीवीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कुछ ‘बहुत ही प्रतिकूल’ टिप्पणियां की हैं और वह कुछ आरोपों की आगे जांच करना चाहता है, इसके लिऐ उसे और समय चाहिए। कोर्ट ने सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के सभी अधिकार वापस लेने और उन्हें अवकाश पर भेजने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली वर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछले शुक्रवार को यह निर्देश दिया था।

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