BY-THE FIRE TEAM
प्रतीकात्मक फोटो
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार को एक आत्मघाती हमलावर ने बड़ी संख्या में एकत्र इस्लामी विद्वानों को निशाना बनाया, जिसमें 50 लोगों की मौत हो गई.
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता वाहिद मजरूह ने बताया कि हमले में लगभग 83 लोग घायल हो गये जिनमें से 20 की हालत गंभीर बनी हुई है. इस हमले की तत्काल किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है.
More than 50 people were killed when a suicide bomber targeted a gathering of scholars celebrating a religious holiday in Kabul, Afghan government officials said.https://t.co/AAVIx3bMTb
— NPR (@NPR) November 21, 2018
काबुल पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता बशीर मुजाहिद ने कहा,‘‘हमले के पीड़ित दुर्भाग्यवश धार्मिक विद्वान थे जो पैगंबर मोहम्मद का जन्मदिन मनाने के लिए एकत्र हुए थे.
”अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे ‘‘इस्लामी मूल्यों और पैगंबर मोहम्मद के अनुयायियों पर एक हमला” बताया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी इस हमले की निंदा की और पीड़ितों के प्रति संवेदना जाहिर की. यह सचमुच दुर्भाग्य पूर्ण है कि आतंकियों का मकसद सिर्फ मानवता की हत्या करना है.
दरअसल उनका कोई किसी भी धर्म से लेना देना नहीं है, काबुल में हुए इस बम ब्लास्ट की घटना से यह सीख ली जा सकती है. इस्लाम धर्म के संस्थापक के पवित्र जन्मदिन पर विद्वानों की निर्मम हत्या बहुत कुछ कहती है.
जरूरत इस बात की है कि इस्लाम के अनुयायी इस तथ्य को समझे और केवल संवेदना न प्रकट करें बल्कि ऐसे खतरनाक लोग जो इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश कर रहें, उनसे सख्ती से निपटें तभी एक सामाजिक माहौल बनाया जा सकता है.