BY-THE FIRE TEAM
प्राप्त सुचना के अनुसार, कंपनी के दस्तावेज से यह पता चला है कि देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया की 2019-20 में 27,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना है।
साथ ही कंपनी ने वोडाफोन और आइडिया सेल्यूलर के पूर्ण रूप से एकीकरण का समय कम कर वित्त वर्ष 2020-21 कर दिया है जो पहले 2022-23 था।
कंपनी को उम्मीद है कि विलय प्रक्रिया पूरी करने के लिये समयसीमा दो साल आगे किये जाने से नकदी प्रवाह करीब 8,400 करोड़ रुपये बढ़ेगा और वोडाफोन तथा आइडिया के उपकरणों की नये सिरे से तैनाती से करीब 6,200 करोड़ रुपये की बचत होगी।
वोडाफोन आइडिया की इंडस टावर में 11.15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की भी योजना है। इससे 5,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है। विलय के बाद बनने वाली इकाई का सकल कर्ज 30 सितंबर 2018 को 1,26,100 करोड़ रुपये था।
सम्भवतः जब इन दोनों कंपनियों ने वर्ष २०१७ में अपना विलय किया था तो इसके पीछे यही वजह रही होगी कि वो न केवल अपनी चुनौतियों से निपटें बल्कि अपने व्यवसाय को भी बढ़ाये।
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आपको बता दें कि इस समय बाजार में टेली कंपनियों को जियो फ़ोन से सबसे ज्यादा चुनौती मिल रही है। उसी को बैलेंस करने के लिए अधिकतर दूर संचार कंपनियों ने न केवल अपने कॉलिंग प्लान में बदलाव किया,
बल्कि इंटरनेट पैक को भी सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया साथ ही लगातार अपना निवेश बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं तक अपनी पहुँच बना सकें।