BY– THE FIRE TEAM
CBI अधिकारी अमिताभ ठाकुर को वह चार्जशीट दिखाई गई जो उन्होंने तैयार की थी। इसमें कहा गया है कि ‘एनकाउंटर’ से कुछ लोगों को राजनैतिक और आर्थिक लाभ मिला। जब उनसे नाम बताने को कहा गया तो ठाकुर ने शाह, वंजारा, चूडास्मा, पांड्या और दिनेश एमएन का नाम लिया।
सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले के मुख्य जांच अधिकारी ने सोमवार (20 नवंबर) को विशेष अदालत में कहा कि ट्रायल का सामना कर रहे 22 आरोपियों के पास उसकी हत्या करने की कोई वजह नहीं थी।
2010 में मामले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने बरी किए गए आरोपियों- गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह, आईपीएस अधिकारियों राजकुमार पांड्या, डीजी वंजारा, दिनेश एमएन और पुलिस अधिकारी अभय चूडास्मा का नाम लिया है।
ठाकुर ने कहा कि उनकी चार्जशीट के हिसाब से इन पांचों को कथित हत्या से “राजनैतिक और आर्थिक फायदा” पहुंचा। हालांकि ठाकुर ने कहा कि इस बात को साबित करने के लिए जरूरी सबूत नहीं हैं।
वर्तमान में ओडिशा के महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) पद पर तैनात ठाकुर से बचाव पक्ष के वकीलों ने छह घंटों से ज्यादा समय तक सवाल किए। 22 आरोपियों में से गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश के 21 पुलिसकर्मी हैं।
राजस्थान पुलिस के इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान के वकील वहाब खान के एक सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा कि उनके द्वारा दायर की गई चार्जशीट के अनुसार, सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर की दो वजहें थीं- राजनैतिक और आर्थिक। ठाकुर ने कहा, “मेरे सामने मौजूद किसी भी आरोपी (वर्तमान में ट्रायल का सामना कर रहे पुलिस अधिकारी) को कथित हत्या से राजनैतिक या आर्थिक लाभ नहीं मिला।”
ठाकुर ने अदालत को बताया कि उन्होंने (21 आरोपी पुलिसकर्मी) “बड़े सौदे के तहत अपना काम किया न कि निजी मकसद से।” ठाकुर ने कहा कि सभी 21 पुलिसकर्मी उस समय ड्यूटी पर थे जब 2005 में कथित अपराध हुआ।
ठाकुर ने कहा, “यह कहना सही होगा कि सभी को उनके अपने डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारियों से आदेश मिले। उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने या तो निर्देश दिए या खुद मौजूद रहकर बात की। यह भी कहना ठीक होगा कि सभी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश का पालन करते हुए आधिकारिक ड्यूटी कर रहे थे।”
मामले में कुल 38 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया था। अमित शाह व सभी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों समेत 16 को बरी कर दिया गया था।
अभी जो 22 आरोपी हैं, उनमें पुलिस इंस्पेक्टर, असिस्टेंट इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, कॉन्स्टेबल्स और एक व्यक्ति शामिल है। यह व्यक्ति उस फार्महाउस का मालिक है जहां 23 नवंबर, 2005 को बस से अगवा कर सोहराबुद्दीन और उनकी पत्नी कौसरबी को कथित रूप से बंधक बनाकर रखा गया था।
सोहराबुद्दीन को 26 नवंबर, 2005 को अहमदाबाद में हुई एक मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया गया था। कौसरबी को भी मार दिया गया और उसकी लाश कथित तौर पर ठिकाने लगा दी गई।
ठाकुर को वह चार्जशीट दिखाई गई जो उन्होंने तैयार की थी। इसमें कहा गया है कि कथित अपराध से कुछ लोगों को राजनैतिक और आर्थिक लाभ मिला। जब उनसे नाम बताने को कहा गया तो ठाकुर ने शाह, वंजारा, चूडास्मा, पांड्या और दिनेश एमएन का नाम लिया।
ठाकुर ने कहा, “यह कहना ठीक नहीं है कि मैंने कभी भी सबूत नष्ट किए, उनसे छेड़छाड़ की या अदालत के समक्ष नहीं रखे। मैंने इन पांचों व्यक्तियों को हुए राजनैतिक और आर्थिक फायदों का कोई विशेष सबूत नहीं दिया है।” जब पूछा गया कि क्या ऐसा इसलिए किया गया कि सबूत थे ही नहीं, तो ठाकुर ने कहा, “कोई सबूत नही है।”
ठाकुर ने जिन पांच व्यक्तियों के नाम लिए, उन्हें 2014 से 2017 के बीच ट्रायल कोर्ट बरी कर चुकी है। सीबीआई ने इन्हें बरी किए जाने को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दी। वंजारा, दिनेश एमएन और पांड्या को बरी किए जाने को सोहराबुद्दीन के भाई ने चुनौती थी दी, हालांकि हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
ठाकुर ने चार्जशीट पढ़ते हुए कहा कि ‘एनकाउंटर के बाद’ दो लोगों को पैसा दिया गया। ठाकुर ने कहा, “रमनभाई पटेल और दशरथभाई पटेल को हिरासत में लेने की धमकी दी गई, इन दोनों ने तीन किश्तों में डीजी वंजारा को 60 लाख रुपये तथा अमित शाह को 70 लाख रुपये दिए।”