BY-THE FIRE TEAM
चुनाव में पारदर्शिता लाने तथा इसे स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से निर्वाचन आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए चुनावों में अत्यधिक धन के प्रवाह पर काबू करने के लिए,
निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों द्वारा प्रतिदिन किए जाने वाले नकद लेनदेन की सीमा 20 हजार से घटाकर 10 हजार रूपये कर दी है.
Election Commission slashes daily cash transaction limit of candidates for campaigning to Rs 10,000https://t.co/dcytoy35ix pic.twitter.com/1jSz5oNGMY
— Hindustan Times (@htTweets) November 25, 2018
अपने सभी मुख्य चुनाव अधिकारियों को भेजे गए निर्देश में आयोग ने कहा है कि –
दस हजार रूपये सेअधिक खर्च करने पर प्रत्याशियों एवं दलों को, क्रास चैकों, ड्रॉफ्ट या एनईएफटी या आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करना होगा.
आपको बताते चलें कि अप्रैल, 2011 में चुनाव आयोग ने रोजाना नकदी खर्च की सीमा 20 हजार रूपये तय की थी लेकिन अब आयकर अधिनियम की धारा 40 ए(3), 2017 में संशोधन को ध्यान में रखकर इसमें परिवर्तन किया गया है.
अब एक उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान किसी एक व्यक्ति या संस्था से नकद में दस हजार रूपये से अधिक का दान या कर्ज नहीं ले सकेगा.
विगत लम्बे समय से निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों के चुनाव संबंधी खर्च में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए प्रयासरत है.
प्रतिभागियों के बीच ‘‘आम सहमति’’ के आधार पर 2015 के चुनाव आयोग के मसौदा दस्तावेज के अनुसार, व्यक्तियों की तरह, चुनाव के समय राजनीतिक दलों द्वारा किए गए व्यय की सीमा होनी चाहिए.
वर्तमान में, चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवारों के लिए प्रचार के संबंध में सीमा तय है, लेकिन राजनीतिक दल द्वारा चुनाव प्रचार पर किए जाने वाले खर्च की ऐसी कोई सीमा नहीं है.
चुनाव आयोग के नियमानुसार प्रत्येक प्रत्याशियों को चुनाव से पहले एक नया बैंक अकाउंट खुलवाकर चुनाव के खर्च का ब्योरा देना होगा. साथ ही प्रत्येक प्रत्याशी 28 लाख रुपए से अधिक खर्च नहीं कर सकेंगे.
अगर किसी उम्मीदवार ने इस सीमा से अधिक व्यय किया तो नामंकन भी रद्द किया जा सकता है. गौरतलब है कि पिछले चुनाव में खर्च सीमा 16 लाख रुपये थी जिसे इस बार बढ़ा दिया गया है.
चुनाव आयोग के मुताबिक सभी प्रत्याशियों को अपने नामांकन दाखिले के लिए फार्म भरने से पहले एक अलग खाता भी रखना होगा और इसी बैंक के खाते से रुपए निकालकर नामांकन फार्म खरीदना होगा.
इस अलग खाते से ही राशि लेन-देन परिचालित होगा, साथ ही संगणना निर्वाचन व्यय लेखा अभिकर्ता के नाम से नामांकित होगा. खर्च की निगरानी के लिए दो टीमों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.