BY-THE FIRE TEAM
अलवर की रामगढ़ विधानसभा बीजेपी के लिए हिंदुत्व की प्रयोगशाला के तौर पर देखी जाती है. यहां गाय और हिन्दू ध्रुवीकरण के मुद्दे पर तीन बार लगातार ज्ञानदेव आहूजा चुनाव जीतते रहे हैं.
किन्तु कुछ कारणों से इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है. ऐसे में ये सवाल उठा कि क्या बीजेपी कट्टर हिंदुत्व से अलग दिखना चाहती है?
ज्ञानदेव आहूजा ने पहले बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ने का एलान किया और फिर उपाध्यक्ष बनाए जाने पर माने.
राजस्थान: टिकट न मिलने से नाराज़ ज्ञानदेव आहूजा भाजपा में लौटे, बने प्रदेश उपाध्यक्ष #Rajasthan #RajasthanAssemblyElection #GyandevAhuja #BJP #Alwar #राजस्थान #राजस्थानविधानसभाचुनाव #ज्ञानदेवआहूजा #भाजपा #अलवरhttps://t.co/PSnWYA37VO
— द वायर हिंदी (@thewirehindi) November 23, 2018
इस समय अलवर के रामगढ़ का सियासी मंच लगभग तैयार है. इस इलाके में हिन्दुत्व के प्रतीक और इसी की ताकत पर तीन बार विधायक रहे ज्ञानदेव आहूजा का टिकट,
भले इस बार कट चुका है, लेकिन उनका सियासी साथ नए उम्मीदवार सुखवंत सिंह के बहुत जरूरी है.
राजस्थान बीजेपी के उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि तीन बार हिन्दुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा, क्योंकि यहां हालात ऐसे थे. लेकिन अबकी बार सिर्फ विकास ही मुद्दा है.
गौरतलब है कि रामगढ़ विधानसभा में करीब ढ़ाई लाख मतदाता हैं, इनमें पचास हजार मुस्लिम वोटर हैं और कांग्रेस की उम्मीदवार साफिया खान हैं.
इसी के चलते हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है. इसे भुनाने के लिए बीजेपी के पास योगी आदित्यनाथ जैसे स्टार प्रचारक भी हैं.
लेकिन योगी आदित्यनाथ से पहले कुछ और लोग भी इसी सियासी मंच से हिदुत्व का माहौल बनाने पहुंचे गए हैं. बता दें कि योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर तय समय से दो घंटे देर से पहुंचा,
किन्तु फिरभी देखते ही देखते खाली ग्राउंड भरने लगा. योगी आदित्यनाथ भी अपने भाषण में विकास के साथ बाखूबी हिंदुत्व और आतंकवाद का तड़का लगाने में माहिर हैं.
यह बहुत बड़ी विडंबना है कि रामगढ़ में न तो कोई डिग्री कॉलेज है और न ही कृषि उपज मंडी. सड़कें भी खस्ताहाल है, बावजूद इसके यहाँ इन सबकी कोई मांग नहीं है बल्कि गाय और हिन्दुत्व यहां के प्रमुख मुद्दे हैं.
आपको यहां कई जगहों पर बड़ी गौशालाएं देखने को मिलेंगी जहां गौरक्षक दलों की छुड़ाई गायें रखी जाती हैं.
चार महीना पहले यहीं पर रकबर को गाय ले जाने के मामले में पीटा गया था.
अब चुनाव में कोशिश यही है कि इन मुद्दों पर सियासी रोटियां सेंकी जाए.