BY- सुशील भीमटा
कांग्रेस किसी की जागीर नहीं हमनें काम करके लोगो का विरोध सुनकर खड़ा किया है कांग्रेस पार्टी को। ना जानें कितनें दोस्त, रिश्ते-नाते खोकर तथा अपमान सहकर हर कांग्रेस कार्यकर्ता नें इस कांग्रेस को पुश्तों से सींचा है और आज चंद मौका परस्तों और संगठन की आपसी रंजिशों की वजह से हम उस अंजाम पर खड़े हैं जो कभी सोचा भी नहीं था।
वो चाहे हम केन्द्र की बात करें चाहे राज्यों की, हर जगह पतन का कारण हमेशा नेताओं की रंजिशें और संगठन में व पार्टी में या कांग्रेस वर्किंग कमिटी में उच्च पद पाने के लिए नेताओं की आपसी लड़ाई रही है, जिसमें कार्यकर्ता हमेशा पिस्ता रहा है। जब चुनाव होता तो हम कार्यकर्ताओं की इनको जरूरत महसूस होती है चुनाव के बाद फिर आम कार्यकर्ता की कोई पूछ नहीं फिर वो लाईन में खड़ा होकर सिर्फ फूलमालाएं डालने के काम आता है और किसी भी संगठन या पार्टी के किसी भी पद के चयन या मनोनीति में उसकी राय तक नहीं ली जाती और अपनी मर्जी पर हमारे सर पर फैसलें लाद दिए जातें हैं क्यों?
जब एक आम मतदाता के मत के द्वारा लोकसभा, विधानसभा के सदस्यों का मत द्वारा चयन किया जाता है तो फिर पार्टी के संगठन की सभी शाखाओं में भी चयन आम पार्टी कार्यकर्ताओं से सलाह मशवरा करके क्यों नहीं किया जाता?
आप बतायें इसमें कुछ गलत है? क्यों संगठन और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा हमारे सर पर अक्सर ऐसे लोग बिठा दिए जातें हैं जिनका जमीनी स्तर पर कोई वजूद या दायरा या कार्यक्षमता नहीं होती?
दोस्तों एक अन्य कारण है गुटबाजी के चलते इन so called बड़े पदाधिकारियों की एक गुट से दूसरे गुट में घुसपैठ जिससे उस गुट के कार्यकर्ताओं की अहमियत और मेहनत और मान-सम्मान को हमेशा चोट पहुंचाई जाती है। ये घुसपैठिये या यूँ कहिये ये बागी लोग हमेशा ही पार्टी को घात पँहुचाते रहें हैं। एक बागी अंदर आता है दस वफादार बाहर कर जाता है क्योंकि ये लोग सिर्फ कुर्सी की राजनीति करते, सिर्फ पार्टी फंड के नाम पर चंद सिक्के देकर ये नुकसान ही पहुँचाते रहते हैं।
दोस्तों हमारे हिमाचल में भी इसके ज्वलंत उदहारण हैं जो आज इस प्रदेश में जहाँ 5-5, 6-6 बार लगातार स्वर्गीय ठाकुर रामलाल जी जो एक आदर्श थे और हैं और राजा वीरभद्र सिंह जी जो युग पुरुष मानें जातें हैं, इन दोनों के समय लगातार इस क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकर्ता ने कांग्रेस के झंडे को बुलंद किया था वो आज घर छोड़ गया क्यों?
जो भजापा उनके समय में जमानत की लड़ाई लड़ा करती थी आज उस भाजपा ने इतना वजूद बना लिया की इस प्रदेश में जो कांग्रेस का गढ़ माना जाता था वहाँ जीत हार की rotation शुरू कर दी क्यों?
दोस्तों कांग्रेस के इस पतन का एक मुख्य कारण जो मुझे लगता है सबको कांग्रेसी बनाने की सोच है जिससे अपने भी दूर हो गए। दोस्तों लोकतंत्र में ये संभव नही जहां अलग-अलग विचारधारा के लोग हैं वहाँ सबको समेटा नहीं जा सकता।
आप जरा अपने घर के सदस्यों की अहमियत छोड़ उससे ज्यादा अहमियत बाहर वाले को देकर देखो परिणाम सामने आ जायेगा।
दूसरा और मुख्य कारण बागियों के दरवाजे पर बार-बार दस्तक देना 4 अंदर लाये जाते हैं और 50 अपने वफ़ादार छोड़ दिए जाते हैं ये बागी सारी कुर्सियां छीन लेते और अपने वफादार कार्यकर्ता हाथ मलते रह जाते हैं।
तीसरा कारण- आंतरिक सोच (अँधा बांटे रेवड़ी अपने अपने को देवे) एक ही व्यक्ति का बार-बार एक ही पद पर चयन किया जाना, एक ही व्यक्ति का दो-दो, तीन-तीन पदों की कमान सम्भालना, एक ही इलाके से 5-5, 6-6 लोगों को प्रतिनिधित्व देना और किसी इलाके को बंजर छोड़ देना। ये तीसरा कारण ही है जो कांग्रेस की खेती को बंजर करता जा रहा है और अच्छी फसलें उगनी कम हो गई या यूँ कहें सीधे शब्दों में कि वो अच्छे बीज काफी हद तक हमारे प्रदेश में भाजपा ले गई।
वक्त हमारे सामने बदल रहा था मगर हम बागियों को समेटने और फरेब की राजनीति में डूबे रहे अंजाम सामने है। धीरे-धीरे स्पष्ट करता रहूँगा लिखता रहूँगा भगवान करे स्पष्टता की नौबत ना आये उससे पहले ही हम संभल जाएँ तो बेहतर है। हाँ ये बात सच है कि मेरी कलम आम कार्यकर्ताओं के हक में लिखेगी उसे कोई नहीं रोक सकता।
बाकी जिसने पिसना ही है उसे कोई नहीं बचा सकता।
अपने स्वाभिमान की लड़ाई लड़ाई लड़ो। जब बाली जी, मैडम स्टोक्स, खुद प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री तक से संगठन की खातिर और अपने वजूद की लड़ाई लड़ सकते हैं तो क्या हम कार्यकर्ता अपने वजूद की लड़ाई नहीं लड़ सकते?
संगठन संगठित होकर चलता है मनमर्जी से नहीं, आज जरूरत है हमें जागरूक होने की नहीं तो इस्तेमाल होते रहेगें और पगड़िया गाडी में घूमने वालों को लगती रहेगी।
जागो तो बचें, ना साजिशें रचें, सड़कों पर घर-घर जाकर जिसने सींचीं कांग्रेस उसे बचाएं, ताकि कांग्रेस और उसके हितैषी भी बचें।
लेखक स्वतंत्र विचारक हैं तथा हिमाचल प्रदेश में रहते हैं।