BY– राजीव यादव
बुलंदशहर को सांप्रदायिक हिंसा में झोंकने के लिए रचा गया घिनौना षड़यंत्र
षड़यंत्र को नाकाम करने के लिए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने गंवाई अपनी जान
स्याना पुलिस और उप जिलाधिकारी की मौजूदगी के बावजूद 4 घंटे बाद दर्ज हुई एफआईआर
शिखर का बयान साबित करता है कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या ‘टारगेट किलिंग’ है.
लखनऊ 7 दिसंबर 2018. बुलंदशहर हिंसा को लेकर लोहिया मजदूर भवन लखनऊ में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब और पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने आरोप लगाया कि बजरंग दल, भाजयुमो, विहिप जैसे हिन्दुत्वादी संगठनों के षडयंत्र को नाकाम करने में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को अपनी जान गंवानी पड़ी .
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया बयान स्पष्ट करता है कि वे गाय के नाम पर हिंसा और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या करने वाले संगठनों के खिलाफ करवाई करने का कोई इरादा नहीं रखते.
आईजी एसके भगत के मुताबिक बरामद मांस 48 घंटे पहले का था. स्पष्ट है कि गाय किसी और जगह काटी गयी और हिंसा करने वाले लोग उसे लेकर आये थे.
मांस सड़क पर रखकर बड़ा दंगा करवाना चाहते थे. योगी ने हिंसा में शामिल रहे मृतक सुमित के परिवार को मुआवजा देकर साफ कर दिया कि चाहे पुलिस मरे या आम-जन, सरकार सांप्रदायिक तत्वों के साथ खड़ी है. हिंसक प्रदर्शन के दौरान सुमित की पत्थरबाजी और हमले का वीडियो वायरल हो चुका है तो किस आधार पर उसको दस लाख रुपया मुआवजा देने और प्रशासन एफआईआर से उसका नाम हटाने की बात कर रहा है.
ऐसा इसलिए कि इरादा ठीक चुनावों से पहले एक और मुज़फ्फरनगर दंगा कराने का था. इस साजिश पर परदा डालने के लिए ही हमलावर सुमित को शहीद बताने की कोशिश हुई ताकि आगामी चुनाव में इसका खामियाजा न उठाना पड़े.
गाय के नाम पर देश को उपद्रवों की आग में झोंकने के प्रयास की जितनी निंदा की जाए कम है. उच्च पुलिस अधिकारियों द्वारा घटना पर दिए गए पक्षपातपूर्ण बयान को देखते हुए उनसे निष्पक्ष विवेचना की अपेक्षा रखना खुद को धोखे में रखना है.
गाय के नाम पर संगठित भीड़ के हमले को लेकर कहा गया कि इस तरह के प्रदर्शन का मौका तभी मिलता है जब गौतस्करी या गौकशी हो रही हो। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि हथियारों से लैस होकर गाय का सर सड़क पर उछालना कैसी जनभावना है। वहीं बजरंग दल, भाजयुमो, विहिप द्वारा की गई हिंसा को जनभावना कहना और इन संगठनों का नाम तक लेने से बचना, संघी संगठनों के खौफ के सामने प्रशासनिक अधिकारियों की निरीहता को दर्शाता है।
मुख्य आरोपी योगेशराज जब वीडियो वायरल कर खुद को बजरंग दल का बता रहा है तो आखिर योगी सरकार बजरंग दल का नाम लेने में क्यों बगलें झांक रही है।
गौ हत्या के सवाल पर कहा कि योगेशराज द्वारा दर्ज किया गया एफआईआर और उसके बाद योगेशराज और शिखर अग्रवाल के वायरल हुए वीडियो के अंतर्विरोधी बयान घटना की सत्यता पर सिर्फ सवाल ही नहीं करते बल्कि पूरी तरीके से झूठा करार देते हैं. आईजी एसके भगत का बयान स्पष्ट करता है कि बरामद गौ अवशेष 48 घंटे पहले के थे यानी गौ हत्या 1 दिसंबर को हुई थी.
जाहिर है कि दंगा कराने के लिए गाय पहले से काटकर लायी गयी और उसके इस्तेमाल के सही मौके का इंतज़ार था. यदि ऐसा नहीं था तो गाय का मांस ट्राली में लादकर सड़क पर क्यों लाया गया? इस बात को खुद हत्यारोपी शिखर गुप्ता स्वीकार करता है कि मांस ट्राली में लाते हुए उनकी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार से झड़प हुई थी.
वीडियो में शिखर स्वीकारता है कि वह ट्रैक्टर-ट्राली में गाय के अवशेषों को चिंगरावटी थाने ले जा रहा था जिसे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने रोककर वहीं दफ़न करने को कहा जिसे नहीं माना गया. योगेशराज द्वारा जारी वीडियो के मुताबिक़ वह खेत में मिले मांस को देखने के बाद एफआईआर दर्ज करा रहा था और सुबोध कुमार की हत्या के समय वहां नहीं था.
इस बात को शिखर ने झूठा साबित कर दिया कि उप जिलाधिकारी अविनाश चन्द्र मौर्या की मौजूदगी में योगेशराज द्वारा दी गई तहरीर को उसने दिया. सुबोध को मुस्लिम परस्त बताते हुए यह भी साफ़ कर दिया है कि इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या ‘टारगेट किलिंग’ है.
योगेशराज पुत्र सूरजभान निवासी नया गांव, थाना स्याना, जिला बुलंदशहर द्वारा अपनी तहरीर में मोबाइल नम्बर 7466000973 दर्ज करते हुए कहा गया कि 3 दिसंबर 2018 को लगभग 9 बजे वह शिखर कुमार, सौरभ आदि के साथ घूमने के लिए महाव के जंगल में गया था. तभी उसने देखा कि वहां सुदेफ़ चौधरी, इलियास, शराफत, अनस, साजिद, परवेज़ और सरफुद्दीन निवासी नया वास थाना स्याना, जिला बुलंदशहर गायों को काट रहे थे.
जो उन्हें देख और उनके शोर मचाने से मौके से भाग गये. सूचना में थाना स्याना की पुलिस और उप जिलाधिकारी के मौके पर पहुंचने का समय नहीं दर्शाया गया है. तहरीर के मुताबिक योगेशराज तथा अभियुक्तगण एक ही गांव के रहने वाले हैं. फिर भी तहरीर में 12 साल से कम उम्र के अनस और साजिद का नाम शामिल हो गया.
प्रथम सूचना रिपोर्ट के अभियुक्तों में कुछ लोगों का दिल्ली में नौकरी करना बताया गया है. ऐसी स्थिति में प्रथम सूचना रिपोर्ट में अंकित तथ्य विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते. विवेचना में आवश्यक है कि निष्पक्ष रूप से पता किया जाए कि नाबालिग लड़कों और बाहर के लोगों के खिलाफ योगेशराज ने आरोप क्यों लगाया है?
वायरल विडियो में योगेशराज और उनके साथी गायों के सिर, खाल व आंते ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर चिंगरावठी चौकी के सामने पहुंचे और सड़क को जाम कर दिया. ट्रैक्टर-ट्राली में गाय के अवशेष आदि केस प्रापर्टी थी जिसको लादकर योगेशराज और उनके साथियों ने अपने द्वारा दर्ज कराये गये केस को संदेहप्रद बना दिया है.
मौके से मिल रही सूचना के अनुसार कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गौमांस गन्ने के खेत में इस तरह लटकाया गया जिसे दूर से देखा जा सके.
घटना की सत्यता परखने के लिए योगेशराज का कथन देखना ज़रूरी है कि अपराधी मौके पर गाय काट रहे थे जो उन्हें देखकर भाग गए. गायों की संख्या के अनुसार मांस का पाया जाना आवश्यक था. किन्तु ये स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि मौके से कितना मांस बरामद मिला?
इस बात पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि मांस खाने वाले अगर गाय मारते हैं तो मांस को प्रदर्शन के लिए गन्नों पर न टांगते बल्कि चुपचाप मांस, सिर व पांव सहित उठा ले गए होते. लेकिन इस मामले में योगेशराज की तहरीर के मुताबिक गाय मारने वाले को मौके से मांस उठाकर ले जाने का अवसर ही नहीं मिल पाया. ऐसा प्रतीत होता है कि योगेशराज आदि की मंशा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की थी ताकि कोई बड़ा दंगा करवाया जा सके. यह दांव उन पर उल्टा पड़ गया.
अगर योगेशराज ने गाय मारने वालों को देखा था तो वह शोर मचाकर आसपास के लोगों की मदद से मौके पर उन्हें पकड़ सकते थे. जैसा कि बताया गया यह सुबह 9 बजे की बात थी.
यह भी ध्यान देने योग्य है कि मौके पर स्याना पुलिस और उप जिलाधिकारी के समय से पहुंचने के बावजूद इतनी बड़ी घटना कैसे हुई. इस घटना में एक जिम्मेदार पुलिस इंस्पेक्टर की जान ले ली गयी, सरकारी-निजी संपत्ति को जलाकर और तोड़फोड़ कर भारी नुकसान पहुंचाया गया. योगेशराज के पूरे क्रिया-कलाप से स्पष्ट होता है कि वह आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है और समय-समय पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का प्रयास करता रहता था.
विवेचना में सुदर्शन टीवी के मलिक सुरेश चौहानके की भूमिका की भी जांच होना आवश्यक है जिन्होंने 3 दिसम्बर की रात 01:19 बजे ट्वीट किया था “शुभरात्रि मित्रों! कल #बुलंदशहर_इज्तिमा पर बड़े खुलासे सुदर्शन टीवी पर देखें”. ये ट्वीट भी किसी बड़ी घटना की ओर इशारा देता है. कहीं ऐसा तो नहीं जो कुछ भी हुआ हो वो किसी पूर्वनियोजित साजिश का नतीजा हो.
साजिश बड़ा दंगा करवाने की रही हो लेकिन समय से पुलिस और प्रशासन के सक्रिय हो जाने के कारण वह अमल में आने से बच गयी जिससे क्रुद्ध होकर इंस्पेक्टर की जान ले ली गयी. एक पहलू यह भी हो सकता है कि घटना का समय षड्यंत्रकारियो द्वारा इसलिए चुना गया हो कि घटनास्थल से मात्र 40 से 45 किमी दूर दरियापुर में तबलीगी जमात का इज्तिमा हो रहा था. ऐसे समय पर इज्तिमा से लौटते मुसलमानों को आसानी से निशाना बनाये जाने की साजिश थी.
वायरल वीडियो में साफ़ सुना जा सकता है कि “कुंदन ने गाय काटी है.” वीडियो में वीडियो बनाने वाले पर भी गलियां बताते हुए सुना जा सकता है. कुंदन एंव योगेशराज के संबंधों को जानना भी ज़रूरी है.
ये वीडियो पुलिस सब-इंस्पेक्टर सुभाषचंद्र द्वारा दर्ज करायी गयी रिपोर्ट की सत्यता का भी समर्थन करता है. पुलिस फ़ोर्स घटनास्थल पर पीछे हटती रही और क्षेत्राधिकरियों ने स्याना पुलिस चौकी में घुसकर अपनी जान बचायी.
इस कथन का समर्थन भी वीडियो द्वारा होता है. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या का आशय भी पूर्व की घटनाओं से स्पष्ट होता है ये वही इंस्पेक्टर है जो गोरक्षकों द्वारा मार दिए गए अख़लाक़ मामले में विवेचक थे. जिन्होंने कम समय में असली अपराधियों पर हाथ डाला था. एक पुलिस निरीक्षक को रास्ते से हटाने के उद्देश्य से भी घटना की जा सकती है. कुछ भी हो पूरे मामले की जांच माननीय सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में होना आवश्यक है.
द्वारा- राजीव यादव (रिहाई मंच)